नई दिल्ली: सौरव गांगुली ने भारतीय टीम के लिए अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू 1992 में किया। तब उनकी उम्र 19 साल थी। भारतीय टीम ब्रिस्बेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे मैच खेल रही थी। मैलकॉम मार्शल, कॉर्टनी एंब्रोज और एंड्रयू कमिंस जैसे दिग्गज गेंदबाजों के सामने गांगुली अपना प्रभाव नहीं जमा सके। 13 गेंदों का सामना करने के बाद गांगुली को कमिंस ने पवेलियन की राह दिखाई। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने केवल 3 रन बनाए। भारतीय टीम 191 रन पर ऑलआउट हुई और वेस्टइंडीज ने आसानी से मुकाबला जीता।
मगर चार साल के बाद 1996 में सौरव गांगुली के लिए भारतीय टीम के दरवाजे दोबारा खुले। उन्हें इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट सीरीज के लिए चुना गया। वह पहले टेस्ट में बाहर बैठे। फिर दूसरे टेस्ट में नवजोत सिंह सिद्धू की जगह गांगुली को शामिल किया गया। कोलकाता के बल्लेबाज ने तुरंत अपना दम दिखाया और लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर डेब्यू टेस्ट शतक जड़ दिया।
विक्रम राठौड़ जल्दी आउट हो गए थे। गांगुली तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे। दूसरे छोर से विकेट नियमित अंतराल में गिर रहे थे जबकि गांगुली एक छोर पर डटे हुए थे। उन्होंने टेस्ट डेब्यू में ही शतक जमाया। गांगुली लॉर्ड्स पर टेस्ट डेब्यू करके शतक जमाने वाले दुनिया के 10वें जबकि भारत के पहले बल्लेबाज थे।
सौरव गांगुली के साथ-साथ इस टेस्ट में राहुल द्रविड़ ने भी अपने करियर का आगाज किया था। द्रविड़ ने उम्दा पारी खेली, लेकिन दुर्भाग्यवश वो शतक पूरा करने से केवल 5 रन से चूक गए। अपने डेब्यू टेस्ट मैच में द्रविड़ 95 रन बनाकर आउट हुए। मगर भारतीय टीम ने अपनी स्थिति काफी तगड़ी कर ली थी। इंग्लैंड की पहली पारी 344 के जवाब में भारत ने अपनी पहली पारी में 429 रन का स्कोर बनाया। भारत ने इस तरह 85 रन की बढ़त बनाई।
यह मुकाबला ड्रॉ पर समाप्त हुआ क्योंकि इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी 278/9 के स्कोर पर घोषित की। गांगुली का शानदार फॉर्म आगे भी जारी रहा और नॉटिंघम में खेले गए अगले मुकाबले में उन्होंने एक और शतक जमा दिया। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने सीरीज के तीसरे टेस्ट में 136 रन बनाए। हालांकि, भारतीय टीम इन धमाकेदार प्रदर्शन के बावजूद इंग्लैंड में सीरीज जीतने में कामयाब नहीं हुई। इंग्लैंड ने यह सीरीज 1-0 से अपने नाम की।
गांगुली और द्रविड़ का करियर आगे के लिए शानदार रहा। दोनों ने एक के बाद एक क्रिकेट के मैदान पर नई कीर्तिमान स्थापित किए। गांगुली की कप्तानी में भारत ने 2003 विश्व कप फाइनल खेला था। उन्हें अब तक भारतीय क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक माना जाता है। गांगुली ने अपने करियर में 7212 टेस्ट व 11,363 वनडे रन बनाए।
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