PCB to resume cricket in Pakistan: क्या पाकिस्तान में कोरोना महामारी का अंत हो गया है? क्या अब पूरा पाकिस्तान सुरक्षित है? ऐसे तमाम सवालों के बीच पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने पाकिस्तान में क्रिकेट गतिविधियां शुरू करने का ऐलान कर दिया है। सवाल यही है कि क्या वाकई वहां स्थिति इतनी सामान्य हो चुकी है या हमेशा की तरह इसके पीछे कुछ गड़बड़झाला है।
पीसीबी ने मंगलवार को कहा कि उसने देश में क्रिकेट गतिविधियों को शुरू करने की तैयारी कर ली है और एलीट खिलाड़ियों के लिए अपने राष्ट्रीय हाई परफोर्मेंस केंद्र (एनएचपीसी) को खोलने की स्वीकृति दे दी है जो कोविड-19 महामारी के कारण मार्च के मध्य से बंद था।
इसके अलावा पीसीबी ने कहा कि शौकिया क्रिकेट भी शुरू किया जा सकता है लेकिन इस दौरान सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का कड़ाई के साथ पालन करना होगा। देश में कोविड-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए 17 मार्च को पीसीबी ने शौकिया क्रिकेट गतिविधियों को भी निलंबित कर दिया था।
पीसीबी ने बयान में कहा, ‘‘खिलाड़ियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने राष्ट्रीय हाई परफोर्मेंस केंद्र को खोलने की घोषणा की है जिसका इस्तेमाल पहले मौजूदा पाकिस्तानी क्रिकेटर ही कर पाएंगे और साथ ही सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के कड़ाई से पालन के साथ शौकिया क्रिकेट के आयोजन को भी स्वीकृति दे दी है।’’
पाकिस्तान में कोरोना महामारी ने तकरीबन उसी समय रफ्तार पकड़ी थी जब भारत में ये शुरू हुआ था। जो ताजा आंकड़े हैं, उसके मुताबिक पाकिस्तान में अब तक कुल 2 लाख 96 हजार लोग कोरोना की चपेट में आए हैं जिसमें से 2 लाख 81 हजार लोग ठीक हो चुके हैं और 6298 लोगों की जान गई है। मौजूदा समय में वहां जो आंकड़े बताए गए हैं उसके मुताबिक एक दिन में 200-250 केस ही सामने आ रहे हैं और ये आंकड़ा भी सुधरता जा रहा है।
पाकिस्तान हमेशा से चीजों में हेराफेरी के लिए मशहूर रहा है और वहां की सरकार अपनी जनता को लेकर कितनी लापरवाह है ये उनके देश की ताजा आर्थिक स्थिति अच्छे से बयां करती है। जहां तक कोरोना की बात है तो इसमें भी पाकिस्तान ने गड़बड़झाला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में मई महीने में हर दिन 5000 कोरोना केस सामने आ रहे थे जबकि अगस्त में अचानक ये आंकड़े 580 से 620 के बीच आ गए और अब ये घटकर 200-250 प्रतिदिन हो चुके हैं।
एक तरफ जहां पूरी दुनिया में कोरोना अभी रफ्तार पकड़े हुए हैं, ऐसे में भला पाकिस्तान में ऐसा क्या हुआ कि वहां की सरकार सफलता के दावे कर रही है। दरअसल, पाकिस्तान में ना ही टेस्टिंग ढंग से हुई है और ना ही किसी सफल मॉडल के तहत काम किया गया है। सिर्फ और सिर्फ आंकड़ों को कम करके दिखाने पर काम किया जा रहा है।
वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि उन्होंने एक खास मॉडल के तहत काम किया है। तकरीबन 10 हजार अनुबंधित कर्मचारियों और 3000 कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग टीमों को सक्रिय करते हुए मामलों को रोकने की कोशिश की गई है। इसके अलावा हॉटस्पॉट इलाकों में कड़ा लॉकडाउन और नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना वो कारण हैं, जिससे कोरोना पर लगाम लगाने में सफलता हासिल की गई है। लेकिन जिस तरह से अचानक पाकिस्तान में कोरोना के आंकड़े कम हुए हैं, उससे ये साफ है कि वहां आंकड़ों की हेराफेरी में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। इमरान सरकार वैसे ही आर्थिक मोर्चे पर बेहाल है और आलोचनाओं के बीच उसके पास कोरोना से निपटने का कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है।
ये कुछ ही समय पहले की बात है जब पाकिस्तान क्रिकेट टीम इग्लैंड दौरे पर जाने के लिए तैयारी कर रही थी। अचानक खबर आई कि पाकिस्तानी टीम के दर्जन भर खिलाड़ी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। खिलाड़ियों का इलाज करके, उनके टेस्ट जैसे-जैसे नेगेटिव आते गए, उन्हें इंग्लैंड रवाना किया गया। उसी बीच पाकिस्तानी दिग्गज मोहम्मद हफीज के कोरोना टेस्ट ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं जब पाकिस्तान में कोरोना टेस्टिंग को लेकर विवाद भी खड़ा हुआ था। उनका एक सरकारी टेस्ट पॉजिटिव आया, फिर निजी लैब में उनका टेस्ट नेगेटिव आया था और पॉजिटिव-नेगेटिव का ये सिलसिला दो-तीन बार चलता रहा। काफी फजीहत के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और मोहम्मद हफीज उस वाकये से बाहर निकल पाए थे।
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