नई दिल्ली: पाकिस्तान क्रिकेट और विवाद एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। पाकिस्तान क्रिकेट में भूले से ही अगर कुछ अच्छा होने जा रहा होता है, तो उसे फिर जोर का झटका जरूर लगता है। इस बार पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को पाकिस्तान सुपर लीग की फ्रेंचाइजी से करारा झटका लगा है। सभी फ्रेंचाइजी ने पीसीबी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मन बना लिया है। इसके लिए फ्रेंचाइजी तो लाहौर हाईकोर्ट भी पहुंच चुकी हैं।
यह पूरा विवाद चल रहा है कि पीएसएल के आर्थिक ढांचे में बदलाव हो। पीएसएल की फ्रेंचाइजी लंबे समय से काफी हताश हैं। फ्रेंचाइजियों ने कर छूट के लिए तर्क दिया, गेट मनी का बेहतर वितरण और विनिमय दर की बेहतर शर्तें बताईं, लेकिन फिर भी पहले चार सीजन तक सभी चुप रहे। फिर अतिरिक्त फ्रेंचाइजी भी लीग से जुड़ी। ऐसे में केंद्रीय पूल से मिलने वाले शेयर भी कम हो गए।
पीसीबी ने कहा कि एक बार पीएसएल पूरी तरह पाकिस्तान में खेला जाने लगे तो फ्रेंचाइजी को बड़ा लाभ मिलेगा। मगर मौजूदा सीजन तो पहली बार पूरी तरह पाकिस्तान में खेला गया, लेकिन इस पर कोविड-19 की मार पड़ी। प्लेऑफ के चार मैच खेले जाना बाकी है और इन्हें नवंबर में आयोजित कराया जाएगा।
पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) की 6 फ्रेंचाइजी ने टी20 लीग के आर्थिक मॉडल को बदलने के लिए जब कानूनी कार्रवाई करने की ठानी तो पीसीबी इस फैसले से 'आश्चर्यचकित और निराश' रह गया। बोर्ड के सलाहकार ने लाहौर हाई कोर्ट से कहा कि फ्रेंचाइजी की रिट याचिका को गलत तरह से पेश किया गया और उसे खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि पीसीबी और फ्रेंचाइजी किसी भी विवाद को हल करने के लिए उचित तंत्र के रूप में मध्यस्था की दीक्षा का माध्यम अपनाए।
फ्रेंचाइजी के मालिक इस दावे के साथ कोर्ट पहुंचे कि पीएसएल ने पीसीबी को अमीर किया, जबकि प्रत्येक सीजन में फ्रेंचाइजी ने नुकसान झेला। अदालत में याचिका में कहा गया है कि वह पीसीबी को सभी फ्रेंचाइजी की शिकायतों का औपचारिक रूप से निवारण करें और अपने वैधानिक आदेश के अनुसार पीएसएल के मॉडल में संशोधन लाए व आर्थिक रूप से व्हवहार्य बनाएं।
पीसीबी के बयान के मुताबिक जस्टिस साजित महमूद सेठी के सामने पीसीबी की कानूनी टीम शुक्रवार को अदालत में थी और छह फ्रेंचाइजी मालिकों द्वारा दायर रिट याचिका के संबंध में सुनवाई के लिए नोटिस प्राप्त किया गया था। पीसीबी के वकील तफजुल रिजवी ने विवाद समाधान प्रोटोकॉल की ओर इशारा करते हुए याचिका की स्थिरता पर आपत्ति जताई और जस्टिस को बताया कि पीसीबी ने इस सप्ताह दो बार फ्रेंचाइजी मालिकों को एचबीएल पाकिस्तान सुपर लीग के वित्तीय मॉडल को पूरा करने व चर्चा के लिए आमंत्रित किया था ताकि भरोसे के साथ चीजों को ठीक किया जा सके।
वहीं फ्रेंचाइजी का कहना है कि वह एक से ज्यादा मौकों पर पीसीबी से इस मामले पर विचार करने के लिए मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन इस बातचीत से कोई हल नहीं निकला। यह मामला तब ज्यादा गर्मा गया जब बोर्ड ने 2019 पीएसएल के दौरान फ्रेंचाइजी को राजस्व का शेयर वितरीत करने में देरी कर दी। इससे सभी छह मालिकों ने अपनी अपनी बैंक गारंटी जमा करने से इंकार कर दिया, जो याचिका का प्रमुख हिस्सा है।
पीसीबी ने अपने बयान में कहा, 'बोर्ड अपने साझेदारों के साथ काम करने को लेकर समर्पित है, लेकिन इस मामले में यह आश्चर्यजनक और निराशाजनक है कि आर्थिक मॉडल पर कई बार विचार होने और यह जानते हुए कि विवाद समाधान के लिए उपयुक्त मंच के बारे में पता होने के बावजूद फ्रेंचाइजी ने माननीय हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पीसीबी माननीय न्यायालय के समक्ष सभी प्रश्नों और कानूनी आपत्तियों को संबोधित करने और फिर उन समाधानों को खोजने के लिए तत्पर है जो सभी पक्षों के लिए व्यावहारिक और स्वीकार्य हैं।'
पीसीबी अपने लिखित बयान 30 सितंबर तक जमा करेगी, जो सुनवाई की अगली तारीख है।
पीसीबी अधिकांश आईपीएल की खिल्ली उड़ाता है। जो पीसीबी दुनियाभर के क्रिकेटर्स को ये बोलकर पाकिस्तान लाना चाहता है कि यह देश अब सुरक्षित है, अब उसी की टी20 लीग की सभी टीमें उसके खिलाफ अदालत पहुंच गई हैं। पाकिस्तान के हाल बुरे हैं और यहां तो मानो क्रिकेट खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है।
हाल ही में बोर्ड ने खिलाड़ियों ने अपने कोविड-19 टेस्ट का खर्चा खुद उठाने को कहा था। राष्ट्रीय टी20 चैंपियनशिप में भाग लेने वाले 240 खिलाड़ियों, अधिकारियों और अन्य हितधारकों से कोविड-19 के शुरुआती परीक्षण के लिये खुद भुगतान करने को कहा है। बोर्ड के अनुसार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेने के लिये प्रत्येक खिलाड़ी और अधिकारी के कोविड-19 के दो परीक्षण नेगेटिव आने अनिवार्य हैं। यह टूर्नामेंट 30 सितंबर से रावलपिंडी और मुल्तान में शुरू होगा।
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