नई दिल्ली: भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम शनिवार को इंग्लैंड के खिलाफ खिताबी मुकाबले में भिड़ते जा रही है। कोरोना से कप्तान यश धुल और उपकप्तान शेख राशिद सहित कई खिलाड़ियों के संक्रमित होने के बाद भी टूर्नामेंट में टीम इंडिया का विजय रथ नहीं रुका। भारतीय टीम अपने ऑलराउंड और दमदार प्रदर्शन की बदौलत अविजेय रहते हुए फाइनल तक पहुंची है।
सेमीफाइनल में फेंकी 141.7 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद
भारतीय टीम के तकरीबन सभी खिलाड़ियों ने फाइनल तक के सफर में अपनी ओर से योगदान दिया है। भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रनों के अंबार लगा दिए लेकिन भारत के एक खिलाड़ी ने अपनी तेज रफ्तार गेंदों के दम पर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। अंडर-19 विश्व कप 2022 सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 19 साल के राजवर्धन हंगरगेकर ने 141.7 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद डालकर सबको चौंका दिया।
अंडर-19 विश्व कप में छोड़ी प्रतिभा की छाप
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के तुलजापुर कस्बे राजवर्धन हंगरगेकर भारतीय क्रिकेट में रफ्तार के नए सौदागर बनकर उभरे हैं। अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में शामिल किए जाने से पहले वो महाराष्ट्र के लिए विजय हजारे और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में डेब्यू करके अपनी छाप छोड़ चुके थे। राजवर्धन ने अंडर-19 विश्व कप में अपनी शानदार तेज गेंदबाजी से सबको प्रभावित किया है। टूर्नामेंट में वो ज्यादा विकेट नहीं झटक सके लेकिन वो अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं।
सही समय पर मिला सही लोगों का साथ
तेज रफ्तार गेंदबाजी की वजह से राजवर्धन हंगरगेकर को अब 'तुलजापुर एक्सप्रेस' के नाम से भी पुकारा जाने लगा है। लेकिन एक छोटे से कस्बे से महाराष्ट्र के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने और अंडर-19 विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने का उनका अबतक का सफर बेहद शानदार रहा है। वो बेहद सौभाग्यशाली रहे है कि उन्हें अपने क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने में सही समय पर सही व्यक्ति का साथ मिला और वो तेजी के साथ वो सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। नहीं तो उनका क्रिकेट करियर तुलजापुर में टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते हुए खत्म हो जाता।
14 साल की उम्र में ऑफ स्पिनर से बने तेज गेंदबाज
जब राजवर्धन हंगरगेकर 14 साल के थे तब उन्होंने ऑफ स्पिन गेंदबाजी छोड़कर तेज गेंदबाजी की शुरुआत की। उस्मानाबाद के लिए किए शानदार प्रदर्शन के बल पर उन्हें विजय हजारे ट्रॉफी के लिए महाराष्ट्र की अंडर-16 टीम में चुना गया था। लेकिन उनकी क्षमता से टीम के कोच से ज्यादा कंडिशनिंग कोच तेजस मातापुरकर प्रभावित हुए थे।
स्टैलियन कहकर पुकारते थे तेजस मातापुरकर
साल 2016 में कंडिशनिंग कोच तेजस मातापुरकर को महाराष्ट्र की अंडर-16 टीम के साथ काम करने को कहा गया। इससे पहले एक साल वो महाराष्ट्र की अंडर-23 टीम के साथ काम कर चुके थे। लेकिन सीजन के खत्म होने तक मातापुरकर एक खिलाड़ी को स्टैलियन कहकर पुकारते थे।
क्या होता है स्टैलियन का मतलब?
'स्टैलियन' शब्द का उपयोग ऊर्जा से भरे मजबूत कदकाठी वाले मजबूत घोड़े के लिए किया जाता है जिन्हें प्रजनन के काम में लगाया जाता है। मातापुरकर राजवर्धन को उनकी शारीरिक मजबूती और वर्क एथिक्स की वजह से 'स्टैलियन' कहकर पुकारते थे। ऐसे में एक दिन राजवर्धन ने उनसे कहा कि सर आप मुझे घोड़ा कहकर क्यों चिढ़ाते हैं तो उन्होंने उससे उस शब्द का मायने देखने को कहा। अगले दिन से सबकुछ बदल गया और राजवर्धन ने अपने फोन के डेक्सटॉप पर स्टैलियन की तस्वीर लगा ली।
साल 2017 में शिफ्ट हुए पुणे
साल 2017 में राजवर्धन मातापुरकर की सलाह पर पुणे शिफ्ट हो गए। उनके घर पास उन्होंने घर लिया और अभ्यास शुरू कर दिया। राजवर्धन की पत्नी भी कंडिशनिंग कोच है दोनों की देखरेख में वो अभ्यास करने लगे। ऐसे में तेजस को महसूस हुआ कि राजवर्धन को सही तरीके से दौड़ने की तकनीक सिखाने की जरूरत है। जिससे कि वो चोटिल होने से बचें। इसके लिए उन्होंने स्प्रिंट कोच संजय पाटनकर की मदद ली। पाटनकर के साथ अगल सात-आठ महीने अभ्यास किया। साल 2018 की शुरुआत तक राजवर्धन एक तेज गेंदबाज नजर आने लगे।
मोहन जाधव ने सिखाया गेंदबाजी का ककहरा
ऐसे में उनके लिए गेंदबाजी कोच की तलाश की गई। तेजस की यह तलाश रुतुराज गायकवाड़ के कोच मोहन जाधव पर जाकर खत्म हुई। जाधव दिलीप वेंसरकर अकादमी में कोच थे। शुरुआत में तेज गेंदबाजी का हुनर हासिल करने के बाद उन्होंने गेंद को पिच पर मूव कराना सीखा। शुरुआत में राजवर्धन 127 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे लेकिन दो साल में उनकी रफ्तार में 10 किमी प्रतिघंटे का इजाफा हुआ।
भारतीय टीम में खेलना है पहला लक्ष्य
राजवर्धन का पहला और मुख्य लक्ष्य भारतीय टीम के लिए खेलना है। आईपीएल में खेलने का मौका उन्हें करियर में कभी भी मिल जाएगा। राजवर्धन यह अच्छी तरह जानते हैं कि अंडर-19 विश्व कप उनके लिए सफलता की पहली सीढ़ी है। अगर वो इसी तरह मेहनत करते रहे तो जल्दी ही उनका नाम भारत के सबसे तेज गेंदबाजों में शुमार होगा।
पबजी खेलने पर पड़ी थी डांट
मातापुरकर ने एक बार उनकी पॉपुलर गेम पबजी खेलने पर डांट लगाई थी। वो सारी रात ये गेम खेलते थे। ऐसे में उन्होंने राजवर्धन की फटकार लगाते हुए कहा था कि पबजी ही खेले क्रिकेट खेलना छोड़ दो। उसके बाद से उसने वो गेम अपने फोन से डिलीट कर दिया और दोबारा डाउनलोड नहीं किया।
ऐसा रहा है घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन
साल 2021 में राजवर्धन हंगरगेकर को महाराष्ट्र के लिए जनवरी में बड़ौदा के खिलाफ सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में डेब्यू का मौका मिला। 2 मैच में वो कोई विकेट नहीं हासिल कर सके। लेकिन इसके बाद उन्हें फरवरी में विजय हजारे ट्रॉफी में मौका मिला तो पहले ही मैत में 42 रन देकर 4 विकेट झटके। विजय हजारे ट्रॉफी में उन्हें पांच मैच खेलने का मौका मिला और उसमें उन्होंने 22.40 की औसत से 10 विकेट अपने नाम किए।
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