नई दिल्ली: भारत और श्रीलंका के बीच पुणे के नेहरू स्टेडियम पर हुए मुकाबले की बात है। आज से ठीक 30 साल पहले यानी 5 दिसंबर 1990 को भारतीय क्रिकेट में उस युग की शुरुआत हुई, जिसने युवाओं को नई दिशा दिखाई। एक 17 साल के लड़के ने मैदान के चारों कोनों में शॉट घुमाए और अपनी तकनीक के दम पर आक्रामक पारी खेलकर दुनिया को दीवाना बना दिया। यह सचिन तेंदुलकर युग की शुरुआत थी।
टेस्ट क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर अपनी काबिलियत साबित कर चुके थे। वनडे में हालांकि उनकी जगह स्थायी नहीं थी। फिर वह दिन आया, जिसके बाद भारतीय क्रिकेट की काया पलट गई। सचिन तेंदुलकर ने सीमित ओवर क्रिकेट में अपना पहला अर्धशतक जमाया और पहली बार मैन ऑफ द मैच का खिताब भी जीता। सचिन तेंदुलकर ने डेब्यू करने के करीब एक साल बाद वनडे क्रिकेट में अर्धशतक जमाया था।
यह तीन मैचों की वनडे सीरीज का दूसरा मुकाबला था। भारतीय टीम 1-0 की बढ़त पर थी। टीम इंडिया के कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने टॉस जीतकर श्रीलंका को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया। श्रीलंकाई कप्तान अर्जुना रणतुंगा और असंका गुरुसिन्हा ने अच्छी साझेदारी करके बड़े स्कोर की उम्मीद जगाई। रणतुंगा ने बेहद आक्रामक पारी खेली और सिर्फ 27 गेंदों में 58 रन बना दिए। हालांकि इन दोनों बल्लेबाजों के आउट होने के बाद भारतीय गेंदबाजों ने जोरदार वापसी की और श्रीलंका को 227 रन के स्कोर पर रोक दिया।
228 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को ओपनर्स रवि शास्त्री (53) और नवजोत सिंह सिद्धू (38) ने दमदार शुरुआत दिलाई। दोनों ने 76 रन की साझेदारी की। इनके आउट होने के बाद संजय मांजरेकर (23) और कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन (52*) श्रीलंकाई स्पिनर्स के सामने संघर्ष करते दिखे। मांजरेकर के आउट होने के बाद युवा सचिन तेंदुलकर क्रीज पर आए। उन्होंने क्रीज पर जमने में ज्यादा समय नहीं लिया और रनगति को बढ़ाना शुरू किया।
रणतुंगा के तेजतर्रार अर्धशतक के बावजूद सचिन तेंदुलकर को उनकी पारी के लिए मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड दिया गया। यह सचिन तेंदुलकर के करियर का पहला मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड था।
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