नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट फैंस से जब भी सचिन तेंदुलकर की सर्वश्रेष्ठ पारियों के बारे में पूछे तो 1998 में शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन दिन में जमाए दो शतक आसानी से याद किए जाते हैं। 22 अप्रैल 1998 को तेंदुलकर ने आकर्षक शतक जमाकर भारतीय टीम को ट्राई सीरीज के फाइनल में पहुंचाया था। भारतीय टीम जब लक्ष्य का पीछा कर रही थी, तब खतरनाक डेजर्ट स्टॉर्म (धूलभरी आंधी) के कारण मैच काफी देर रुका रहा। हाल ही में एक चैट शो में तेंदुलकर ने खुलासा किया कि जब स्टेडियम में स्टॉर्म आया तो वो कैसा महसूस कर रहे थे और संशोधित लक्ष्य के बाद वह क्यों निराश हुए थे।
सचिन का मानना है कि संशोधित लक्ष्य जानने के बाद वह निराश हुए थे क्योंकि पारी के करीब 4 ओवर घटाए गए थे जबकि 9 रन कम किए गए थे। तेंदुलकर ने कहा, 'हम ड्रेसिंग रूम के अंदर नए संशोधित लक्ष्य के बारे में सोचकर गए कि ये क्या होगा। जब खेल शुरू हुआ तो हमें 46 ओवर खेलने को मिले, लेकिन अगर मैं गलत नहीं हूं तो 8-9 रन लक्ष्य में से कम किए थे, जिससे मैं थोड़ा निराश हुआ था। हमने 50 ओवर के कोटे के हिसाब से पूरी योजना बनाई थी। मगर चार ओवर काट दिए गए और सिर्फ 9 या 10 रन कम किए। ऐसे में पूरा गणित बिगड़ जाता है।'
गिलक्रिस्ट को कस के पकड़ा
सचिन तेंदुलकर ने इस मुकाबले में जो शतक जमाया, उससे भारतीय टीम मैच नहीं जीत सकी, लेकिन फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में कामयाब हुई । खराब रन-रेट के कारण न्यूजीलैंड की टीम बाहर हो गई। हालांकि, सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्होंने वह ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट को पकड़ने के लिए पूरी तरह तैयार थे क्योंकि डेजर्ट स्टॉर्म उनके लिए एकदम नया अनुभव था।
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