मुंबई: शार्दुल ठाकुर को ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद से क्रिकेट फैंस बहुत अच्छे से जानने लगे हैं। मुंबई के ऑलराउंडर ने गाबा टेस्ट में अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से काफी प्रभावित किया। इसके बाद भारतीय क्रिकेटर की निजी जिंदगी के बारे में भी लोगों को जानने की बेकरारी है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि शार्दुल ठाकुर की सफलता के पीछे एक ऐसी महिला का हाथ हैं, जिन्हें कभी श्रेय मिलना मुश्किल है। यह कोई और नहीं बल्कि शार्दुल ठाकुर के बचपन के कोच दिनेश लाड की पत्नी हैं। कैसे? चलिए आपको बताते हैं।
वो लाड की पत्नी ही थीं, जिन्होंने अपने पति को ठाकुर को बोरीवली के घर में रहने की अनुमति दी जबकि क्रिकेटर की उम्र की ही उनकी बेटी भी है। यह लाड परिवार के लिए मुश्किल भरा फैसला था, लेकिन पत्नी की सहायता के कारण मुंबई के कोच के लिए यह काम आसान हो गया। उस समय शार्दुल ठाकुर पालघर में रहते थे, जो बोरीवली से 86 किमी की दूरी पर है। लाड नहीं चाहते थे कि इतना समय प्रतिभाशाली क्रिकेटर का खराब हो। उन्हें ठाकुर में प्रतिभा नजर आ चुकी थी।
लाड ने कहा, 'मैंने शार्दुल ठाकुर को 2006 में मुंबई में हमारी स्कूल टीम (स्वामी विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय स्कूल) के खिलाफ खेलते हुए देखा था। तारापुर विद्या मंदिर के लिए खेलते हुए ठाकुर ने 78 रन बनाए और फिर पांच विकेट झटके थे। ठाकुर के प्रदर्शन से प्रभावित होकर मैंने उसे अपने स्कूल से जुड़ने का प्रस्ताव दिया। मैंने उनसे कहा कि अपने माता-पिता को मुझसे संपर्क करने को कहे। मैंने उनके पिता को फिर कहा कि शार्दुल में काफी प्रतिभा है और वह शीर्ष स्तर पर क्रिकेट खेल सकता है।'
लाड ने आगे कहा, 'उनके पिता ने यह कहकर प्रस्ताव ठुकरा दिया कि शार्दुल की बोर्ड परीक्षा है और पालघर से मुंबई आने में करीब ढाई घंटे लगेंगे, जो बहुत मुश्किल होगा। फिर मैंने अपनी पत्नी से बात की और पूछा कि अगर हम अपने घर पर एक लड़के को रखे ताकि वह मुंबई में क्रिकेट खेल सके? मेरी पत्नी राजी हो गई और हम शार्दुल को घर ले आए।'
लाड ने स्वीकार किया कि शुरूआत में उनके आर उनकी पत्नी थोड़ा घबराए हुए थे क्योंकि उनकी बेटी की उम्र लगभग शार्दुल ठाकुर के बराबर थी और किसी अनजान शख्स को घर लाना किसी जोखिम से कम नहीं। रोहित शर्मा और शार्दुल ठाकुर को कोचिंग देने वाले लाड ने कहा, 'हमारा बोरीवली में दो बीएचके घर है। शुरूआत में हम लोग घबराए हुए थे क्योंकि हमारी बेटी की उम्र शार्दुल के बराबर या उससे एक-दो साल ज्यादा होगी। वहां जोखिम वाला पहलु था। मगर हमने शार्दुल को अपने घर में रोका और इससे काफी फायदा हुआ। हमने उससे कोई पैसा नहीं लिया। मैंने उसका दाखिला अपने स्कूल में कराया और शार्दुल हमारे साथ एक साल तक रहा।' तब तक शार्दुल ट्रेन से पालघर से स्वामी विवेकानंद अंतरराष्ट्रीयस्कूल तक जाता था, जिसमें काफी समय लगता था।
लाड ने कहा, 'स्कूल क्रिकेट के दौरान शार्दुल ठाकुर ने लगातार छह छक्के जड़कर अपना नाम स्थापित कर लिया था। इसके बाद उसका अंडर-15 मुंबई टीम में चयन हुआ और फिर ठाकुर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।' ठाकुर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में मौका मिला। उन्होंने कुल 69 रन बनाए और सात विकेट झटके व जमकर तारीफें बटोरी। इसका ईनाम भी ठाकुर को मिला। उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट के लिए भारतीय टीम में जगह मिली है।
मुंबई की लोकल ट्रेन से दुनिया की सबसे तेज पिचों में से एक पर शानदार प्रदर्शन करना, ठाकुर की यात्रा वाकई कई युवा क्रिकेटरों को प्रभावित करेगी। अब तक ठाकुर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2 टेस्ट, 12 वनडे और 17 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। वह दोनों हाथों से मिले मौके को भुनाने में जुटे हुए हैं। बहरहाल, दिनेश लाड की पत्नी के उस फैसले ने शार्दुल ठाकुर की पूरी जिंदगी बदलकर रख दी, जिसके लिए उन्हें श्रेय जरूर मिलना चाहिए।
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