नई दिल्ली: भारतीय प्रशंसकों की नजर में यदि किसी अंपायर को विलेन की नजर से देखा जाता है तो दो नाम उभरकर सामने आते हैं। पहला नाम पाकिस्तान के विवादास्पद अंपायर शकूर राणा का और दूसरा वेस्टइंडीज के स्टीव बकनर का है। स्टीव बकनर के विलेन बनने की वजह चहेते सचिन तेंदुलकर को कई अहम मौकों पर गलत आउट देना रही। ऐसे में बकनर ने सालों बाद उन निर्णयों को मानवीय भूल बताया है।
स्टीव बकनर ने अपने अंपायरिंग करियर को पीछे मुड़कर देखते हुए उन दो मौकों का याद किया जब उन्होंने भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को आउट दिया था जबकि वो आउट नहीं थे। बकनर ने उन दो गलतियों को ईमानदारी से स्वीकार करते हुए भूल बताया है। बारबाडोस में एक रेडियो कार्यक्रम में शिरकत करते हुए बकनर ने कहा, तेंदुलकर को उन्होंने दो बार भूलवश आउट करार दिया था। मुझे नहीं लगता कि कोई अंपायर ऐसा करना चाहेगा क्योंकि ये सब उसके साथ जुड़ता है और उसका करियर भी खतरे में पड़ता है।
हर इंसान से होती है भूल
उन्होंने आगे कहा, ऑस्ट्रेलिया में गलती मानवीय भूल थी। गेंद स्ंटप के ऊपर से जा रही थी और मैंने उन्हें एलबीडब्ल्यू करार दिया। एक बार ऐसा भारत में हुआ था जब मैंने उन्हें कैच करार दिया था। गेंद में उनके बल्ले के करीब से गुजरने के बाद हलचल हुई थी जबकि उसने बल्ले को नहीं छुआ था। वो मैच इडेन गार्डन्स में खेला जा रहा था। जब आप इडेन गार्डन्स में होते हैं और भारत बल्लेबाजी कर रहा हो आपको कुछ सुनाई नहीं देता क्योंकि एक वहां एक लाख दर्शक शोर कर रहे होते हैं। वो मुझसे हुई भूल थीं और मैं ऐसा करके खुश नहीं था। मेरा मानना है कि इंसान से भूल होती हैं और उन्हें स्वीकार करना जीवन का हिस्सा है।'
पिछले साल आईसीसी ने सचिन तेंदुलकर को स्टीव बकनर के बहाने ट्रोल करने की कोशिश की थी। आईसीसी की पोस्ट पर सचिन ने भी वेस्टइंडीज के इस महान अंपायर की चुटकी ली थी। लिटिल मास्टर ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें वो और उनके बाल सखा विनोद कांबली नवी मुंबई में आयोजित तेंदुलकर-मिडिलसेक्स ग्लोबल एकेडमी कैंप के दौरान नेट्स पर नजर आए थे।
आईसीसी ने उस पोस्ट पर कमेंट करते हुए सचिन से पूछा था कि आपका पैर कहां है? इसके साथ ही आईसीसी ने नो-बॉल का इशारा करते हुए बकनर की तस्वीर साझा की थी। ऐसे में सचिन तेंदुलकर ने उसका हाजिर जवाबी से उत्तर देते हुए कहा था कि कम से कम इस बार में गेंदबाजी कर रहा हूं बल्लेबाजी नहीं, अंपायर का निर्णय हमेशा अंतिम निर्णय होता है।
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