गावस्‍कर को अब तक समझ नहीं आया, विंडीज के खिलाफ सीरीज जीत के बाद कप्‍तानी से क्‍यों हटाया गया?

Sunil Gavaskar on axed from captaincy: गावस्कर ने बताया कि उन्होंने किस तरह बिशन सिंह बेदी को टीम में रखने के लिए चयनकर्ताओं को मानाया। इसके अलावा गावस्‍कर ने अपने लेख में कई बातें बताई।

sunil gavaskar
सुनील गावस्‍कर 
मुख्य बातें
  • सुनील गावस्‍कर को आज भी कारण नहीं पता कि उन्‍हें सीरीज जीत के बाद कप्‍तानी से क्‍यों हटाया गया
  • गावस्‍कर ने वेस्‍टइंडीज के खिलाफ उस सीरीज में 700 से ज्‍यादा रन बनाए थे
  • गावस्‍कर की कप्‍तानी में भारत ने वेस्‍टइंडीज को 1-0 से सीरीज में मात दी थी

मुंबई: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा है कि उन्हें आज तक समझ नहीं आया कि 1978-79 में घर में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीतने के बाद भी उन्‍हें कप्तानी से क्यों हटा दिया गया था? इस सीरीज में उन्होंने 700 से ज्यादा रन भी बनाए थे। भारत ने छह मैचों की सीरीज 1-0 से जीती थीं। इस सीरीज के बाद गावस्कर के स्थान पर एस. वेंकटराघवन को टीम का कप्तान बनाया गया था।

गावस्कर ने मिड-डे में अपने कॉलम में लिखा है, 'वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज जीतने के बाद भी मुझे कप्तानी से हटा दिया गया था जबकि इस सीरीज में मैंने 700 से ज्यादा रन बनाए थे। मुझे अभी तक इसका कारण नहीं पता, लेकिन शायद मैं उस समय कैरी पैकर वर्ल्‍ड सीरीज क्रिकेट से जुड़ने को तैयार था इसलिए शायद हटा दिया गया हो। चयन से पहले मैंने बीसीसीआई के साथ करार किया और बताया कि मैं किसके लिए वफादार हूं।'

बेदी के लिए गावस्‍कर का संघर्ष

गावस्कर ने बताया कि उन्होंने किस तरह बिशन सिंह बेदी को टीम में रखने के लिए चयनकर्ताओं को मानाया। गावस्कर ने कहा, 'समिति ने फैसला किया था कि तीन मैचों के बाद वह बेदी को हटा देंगे। जब मैंने पाकिस्तान सीरीज के बाद कप्तान के तौर पर उनका स्थान लिया तभी समिति उन्हें हटाना चाहती थी। मैंने कहा कि वह अभी भी देश में बाएं हाथ के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर हैं और इसलिए उन्होंने पहले टेस्ट मैच में उन्हें मौका दिया।'

उन्‍होंने आगे लिखा, 'कपिल देव की कर्सन घावरी के साथ टीम में एंट्री हुई थी और दोनों ने क्षमतावान जोड़ी बनाई थी। स्पिनर्स को वैसे गेंदबाजी का मौका नहीं मिल रहा था, जैसा मिला करता था। पिच पर बल्‍लेबाजी करना आसान था और स्पिनर्स के लिए थोड़ी मदद मौजूद थी। चयनकर्ता तो बेदी को दूसरे व तीसरे टेस्‍ट में भी बाहर बैठाना चाहते थे, लेकिन मैंने उन्‍हें ऐसा नहीं करने के लिए राजी किया।'

राजिंदर गोयल को नहीं मिला मौका

गावस्‍कर ने बताया कि वह अपनी टीम में पदमाकर शिवालकर और राजिंदर गोयल को भी चाहते थे, लेकिन 1979-80 में ऑस्‍ट्रेलिया और पाकिस्‍तान के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए दोबारा कप्‍तान बनाए जाने के बाद उनको चयनकर्ताओं का साथ नहीं मिला। 

उन्‍होंने कहा, 'ध्‍यान रहे कि भारतीय कप्‍तान को चयन समिति ने दोबारा नियुक्‍त किया, लेकिन कोई वोट नहीं मिला। हालांकि, तीसरे टेस्‍ट के बाद चेन्‍नई की पिच पर तेज गेंदबाजों को मदद मिलने की उम्‍मीद थी तो चयनकर्ताओं ने धीरज पार्सना को चुना, जो घावरी जैसे तेज और स्पिन दोनों तरह की गेंदबाजी कर सकते हो। तब मैं समिति को गोयल साहब या शिवालकर को चुनने के लिए राजी नहीं कर सका।'

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