नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान की अंडर-19 क्रिकेट टीमों के बीच मंगलवार को अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप का सेमीफाइनल मैच खेला गया। भारतीय टीम ने इस मैच को एकतरफा बनाते हुए 10 विकेट से जीत दर्ज करके फाइनल में एंट्री हासिल की। इस मैच में यूं तो कई भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन एक बार फिर हीरो बने उत्तर प्रदेश के 18 वर्षीय ऑलराउंडर यशस्वी जायसवाल। इस टूर्नामेंट में अब तक के उनके आंकड़े गवाह हैं कि इस खिलाड़ी ने किस तेजी व संघर्ष के साथ अपना करियर शीर्ष तक पहुंचाया है और कैसे वो करोड़ों भारतीय फैंस की आंखों का तारा बन चुके हैं।
यशस्वी का धमाका
सबसे पहले बात यशस्वी जायसवाल की ताजा पारी के बारे में, मंगलवार को पाकिस्तान ने भारत को 173 रनों का लक्ष्य दिया था। यशस्वी गेंदबाजी करते हुए 1 विकेट ले चुके थे। इस छोटे से लक्ष्य का पीछा करते हुए भी यशस्वी की रनों की भूख नजर आई और उन्होंने 113 गेंदों पर नाबाद 105 रनों की शानदार पारी खेलकर साथी ओपनर दिव्यांश सक्सेना (नाबाद 59) के साथ अपनी टीम को 35.2 ओवर में ही जीत दिला दी। जब मैच अंतिम मोड़ पर था तब यशस्वी ने छक्का जड़ते हुए अपनी टीम को जीत भी दिलाई और टूर्नामेंट में अपना पहला शतक भी जड़ा। ये है उस पल का वीडियो
5 मैच, पांचों में सुपरहिट..
यशस्वी जायसवाल ने अब तक इस टूर्नामेंट के हर मैच में लाजवाब प्रदर्शन किया है। उन्होंने अब तक खेले गए 5 मैचों में चार अर्धशतकीय पारियां खेली हैं। जबकि जापान के खिलाफ मैच में वो अर्धशतक तो नहीं बना सके लेकिन यहां भी उन्होंने नाबाद 29 रनों की पारी खेली। ये हैं उनकी चार अर्धशतकीय पारियां..
भारत बनाम श्रीलंका - नाबाद 59 रन और 1 विकेट
भारत बनाम जापान - नाबाद 29 रन
भारत बनाम न्यूजीलैंड - नाबाद 57 रन
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया - नाबाद 62 रन
भारत बनाम पाकिस्तान (सेमीफाइनल) - नाबाद 105 रन और 1 विकेट
अब गोलगप्पे बेचने वाली कहानी पुरानी हुई
यशस्वी जायसवाल ने काफी संघर्ष करके यहां तक का सफर तय किया है। पिता कभी-कभी कुछ पैसे भेज देते थे इससे खर्च पूरा नहीं होता था इसलिए उन्होंने हर साल रामलीला के दौरान गोलगप्पे बेचने पड़े। गोलगप्पे बेचने के दौरान वो ये सोचते कि उनके साथ क्रिकेट खेलने वाला कोई साथी वहा ना आ जाए पर ऐसा कई बार हुआ और उन्हें ये काम करते हुए शर्मिंदगी भी महसूस हुई। वो जहां रहते थे उस आजाद मैदान के टेंट में लाइट नहीं थी और वहां रोटी बनाने की जिम्मेदारी उनकी ही थी। ऐसे में हर रात मोमबत्ती की रोशनी और गर्मी में गुजरती थी। अब हालात बदल चुके हैं।
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