टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने गुरुवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पहली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के बीच में अंक प्रणाली में बदलाव के बाद उनकी टीम और अधिक भूखी और प्रतिबद्ध हो गई थी। खेल की संचालन संस्था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने वैश्विक स्वास्थ्य संकट के कारण कई निर्धारित श्रृंखलाओं के रद्द होने के बाद फाइनल के लिए क्वालीफाई करने की पात्रता को अधिकतम अंक से बदलकर खेले गए मैचों में प्रतिशत अंक कर दिया था।
कोहली ने न्यूजीलैंड के खिलाफ डब्ल्यूटीसी फाइनल की पूर्व संध्या पर कहा, ‘‘इससे हम और अधिक प्रतिबद्ध हो गए और हमें और अधिक स्पष्टता मिली कि हम कहां जाना चाहते हैं और हम क्या हासिल करना चाहते हैं, इसलिए अगर हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो संभवत: यह अच्छी चीज हुई थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आत्ममुग्धता के लिए कोई जगह नहीं है, अगर हम पहले क्वालीफाई कर जाते तो शायद थोड़े सहज हो जाते।’’
इस स्थिति ने और भूखा बना दिया था
भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘लेकिन इस स्थिति ने हमें और अधिक भूखा तथा और अधिक प्रतिबद्ध बना दिया।’’ भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 2-1 की एतिहासिक टेस्ट जीत के बाद इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट श्रृंखला में 3-1 की जीत के साथ फाइनल के लिए क्वालीफाई किया।
भारतीय कप्तान ने पूछा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो क्या इतनी उतार-चढ़ाव भरी राह की उम्मीद थी। जब आप घर पर बैठे होते हो और अचानक नियम बदल जाते हैं तो आप भ्रम की स्थिति में आ जाते हो कि क्या हो रहा है, ऐसा नहीं हुआ कि हम श्रृंखला में नहीं खेले या हमने कार्यक्रम के तहत विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के दौरान श्रृंखला में नहीं खेलने का फैसला किया।’’
डब्ल्यूटीसी चक्र में बदलाव की चाहत के बारे में पूछने पर कोहली ने कहा, ‘‘सबसे पहले तो रातों रात नियम नहीं बदले जाने चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही जो टीमें किसी कारण से श्रृंखला में नहीं खेली, उनके लिए कोई नियम होना चाहिए कि इसके बाद क्या होगा। यह सही दिशा में सकारात्मक कदम होगा।’’
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