सचिन तेंदुलकर क्रिकेट इतिहास के सबसे महान बल्लेबाजों में शुमार किए जाते हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई बार अकेले दम पर भारत को जीत दिलाई है। विपक्षी टीमों में सचिन को लेकर खौफ रहता था और वह उन्हें आउट और परेशान करने के नए-नए तरीके ढूंढती थीं। खासतौर पर भारत और पाकिस्तान के खिलाफ जब मैच होता था तो सभी की निगाहें सचिन पर रहती थीं। पाक गेंदबाज स्लेजिंग करने में माहिर थे और वह सचिन पर भी छींटाकशी किया करते थे। पाकिस्तान के पूर्व स्पिनर सकलैन मुश्ताक ने एक ऐसा वाकया बताया था, जब उन्होंने सचिन के खिलाफ स्लेजिंग की थी और उसके बाद उन्हें एक कड़ा सबक सीखने को मिला।
सकलैन बोले, जोश में कर बैठा था बड़ी गलती
पूर्व दिग्गज स्पिनर सकलैन मुश्ताक ने कहा था कि यह बात 1997 की है, जब पाकिस्तान की टीम सहारा कप वनडे टूर्नामेंट खेलने के लिए भारत आई थी। मैंने दो साल पहले ही 1995 में अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी और मैं भारत के साथ होने वाली इस सीरीज को लेकर काफी बेताब था। पिछले दो सालों में मैंने काफी शानदार प्रदर्शन किया था और मुझे अपनी गेंदबाजी पर घमंड हो गया था। सहारा कप के एक मैच के दौरान जब सचिन बल्लेबाजी करने के लिए क्रीज पर आए तो मैंने सोच लिया था कि मैं सचिन को जल्द आउट कर दूंगा।
उन्होंने कहा कि लेकिन जब सचिन आउट नहीं हुए तो मैंने उन्हें परेशान करने के लिए उनपर छींटाकशी करनी शुरू कर दी। जब भी मै सचिन के पास से गुजरता तो उनपर कोई ना कोई टिप्पणी कर देता। लेकिन सचिन ने मुझे कुछ नहीं कहा और वह सिर्फ अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करते रहे, इससे मेरा पारा और ज्यादा चढ़ गया। लेकिन मैं यह नहीं समझ सका कि मैं जोश में बड़ी गलती कर रहा हूं।
सचिन के जवाब से बुरी तरह सहम गया था
सकलैन ने कहा कि जब मैंने कई बार सचिन पर टिप्प्णी की तो एक ओवर खत्म होने के बाद सचिन ने मुझे अपने पास बुलाया। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं तुम्हे बहुत अच्छा खिलाड़ी समझता हूं। तुम शक्ल से भी बहुत अच्छे इंसान लगते हो। मैंने तुम्हारे साथ कभी इस तरह का व्यवहार नहीं किया तो फिर तुम ऐसा क्यों कर रहे हो। मुझे तुम्हारा यह व्यवहार बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा। सचिन ने यह बात मुझे बहुत अच्छे अंदाज मेे कहीं और वह फिर बल्लेबाजी करने के लिए चले गए। मैं सचिन के इस जवाब से बुरी तरह से सहम गया।
मैं बेहद शर्मिदा महसूस करने लगा
सकलैन ने बताया कि सचिन तो बल्लेबाजी करने के लिए चले गए लेकिन उनकी बातों से मुझे खुद पर शर्मिंदगी महसूस होने लगी। हाल यह हो गया कि अगले 2-3 ओवर तक मेरे दिमाग में सचिन का बातें ही घूम रही थीं। मैं अपनी गेंदबाजी पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था। उसके बाद मैंने अपने करियर में कभी भी सचिन पर कोई टिप्पणी नहीं की और उन्होंने भी मुझे कभी कुछ नहीं कहा।
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