हैमिल्टन: टीम इंडिया ने बुधवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ हैमिल्टन में खेले जा रहे पहले वनडे में दो खिलाड़ियों को डेब्यू का मौका दिया। युवा पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल ने एकसाथ डेब्यू किया। मयंक अग्रवाल भारत के 230वें जबकि पृथ्वी शॉ 231वें खिलाड़ी बने, जिन्होंने वनडे क्रिकेट में देश का प्रतिनिधित्व किया। पृथ्वी शॉ के लिए तो न्यूजीलैंड वैसे भी खास है क्योंकि उन्होंने भारतीय अंडर-19 टीम को यहां आईसीसी अंडर-19 विश्व कप चैंपियन बनाया था। अब वो वहीं अपना वनडे डेब्यू कर रहे हैं।
भारतीय टीम ने डेब्यू करने वाले दोनों बल्लेबाजों मयंक-पृथ्वी को पारी की शुरुआत करने साथ भेजा। बता दें कि टीम इंडिया के नियमित ओपनर शिखर धवन न्यूजीलैंड दौरे पर चोटिल होने के कारण नहीं जा सके। वहीं रोहित शर्मा न्यूजीलैंड के खिलाफ पांचवें व अंतिम टी20 इंटरनेशनल मैच में चोटिल होकर बचे हुए दौरे से बाहर हो गए। रोहित को बाएं पैर की पिंडली में चोट लगी थी। वह तब 60 रन बनाकर खेल रहे थे। असहनीय दर्द के कारण रोहित ने मैदान से बाहर जाने का फैसला किया। वह रिटायर्ड हर्ट हुए और फिर फील्डिंग करने नहीं आए। मैच के अगले दिन स्पष्ट हुआ कि रोहित की पिंडली में चोट है और वह शेष दौरे में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
पृथ्वी-मयंक की खास उपलब्धि
भारतीय टीम के नियमित ओपनर्स रोहित शर्मा और शिखर धवन दोनों के बिना भारतीय टीम चार साल में कोई पहला वनडे मैच खेलने उतरी है। मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ की जोड़ी मैदान पर उतरी और 50 रन की साझेदारी की। दोनों बल्लेबाजों ने कुछ आकर्षक शॉट खेले, लेकिन लंबे समय तक साझेदारी करने में सफल नहीं हुए। पृथ्वी शॉ 21 गेंदों में तीन चौके की मदद से 20 रन बनाकर कॉलिन डी ग्रैंडहोम का शिकार बने। वहीं मयंक अग्रवाल 31 गेंदों में 6 चौके की मदद से 32 रन बनाकर साउथी की गेंद पर ब्लंडेल को कैच थमाकर पवेलियन लौटे।
भारतीय ओपनर्स का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक दमदार नहीं रहा, लेकिन पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल के नाम एक खास उपलब्धि दर्ज हो गई है। भारतीय वनडे क्रिकेट इतिहास में यह चौथा मौका है, जब दो डेब्यू करने वाले बल्लेबाजों ने ओपनिंग की। जी हां, 1974, 1976, 2016 और 2020, इन चार मौकों पर भारतीय वनडे क्रिकेट इतिहास की कहानी एक जैसी है।
सुनील गावस्कर और सुधीर नाईक नंबर-1
भारतीय वनडे क्रिकेट इतिहास में 13 जुलाई 1974 को सबसे पहला मौका आया था जब दो डेब्यू करने वाले बल्लेबाजों ने ओपनिंग की थी। सुनील गावस्कर (28 रन) और सुधीर नाईक (18 रन) ने इंग्लैंड के खिलाफ एकसाथ ओपनिंग करते हुए 44 रन की साझेदारी की थी। वैसे, इंग्लैंड ने यह मुकाबला 4 विकेट से जीता था।
दो साल ही हुए थे। भारत ने 21 फरवरी 1976 को क्राइस्टचर्च में कर्नल के नाम से मशहूर दिलीप वेंगसरकर और पार्थसारथी शर्मा को डेब्यू का मौका देते हुए ओपनिंग कराई। यह जोड़ी ज्यादा सफल नहीं हुई और दोनों महज 7 रन की साझेदारी कर सके। भारतीय टीम 154 रन पर ऑलआउट हुई और न्यूजीलैंड ने 9 विकेट के अंतर से मैच जीता।
राहुल का डेब्यू शतक, ओपनिंग जोड़ी फ्लॉप
40 साल बाद भारतीय क्रिकेट इतिहास में फिर वही कहानी दोहराई। डेब्यू करने वाले दो खिलाड़ियों ने ओपनिंग की जिम्मेदारी संभाली। इस बार क्रीज पर केएल राहुल और करुण नायर थे। भारत का मुकाबला 11 जून 2016 को जिंबाब्वे से था। मेजबान टीम ने पहले बल्लेबाजी की, लेकिन पूरी टीम 168 रन पर ऑलआउट हुई। भारत की तरफ से केएल राहुल (100*) और करुण नायर (7) ओपनिंग करने उतरे। इन दोनों ने स्कोरबोर्ड में 11 रन ही टांगे थे कि चतारा की गेंद पर नायर ने सिकंदर रजा को कैच थमाया और पवेलियन लौट गए। वहीं राहुल ने अपना डेब्यू यादगार बनाया और 115 गेंदों में 7 चौके व एक छक्के की मदद से सैकड़ा पूरा किया।
पृथ्वी-मयंक क्यों सबसे सुपरहिट
भारतीय वनडे इतिहास में सिर्फ चार मौके आए जब ओपनिंग करने वाले दोनों बल्लेबाजों ने एकसाथ डेब्यू किया। इन चारों जोड़ियों में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल का ही रहा। दोनों ने अर्धशतकीय साझेदारी की, जो बाकी तीन जोड़ियों की साझेदारियों में सर्वश्रेष्ठ है।
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