लखनऊ : कानपूर शूटआउट केस के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे के करीबी जयकांत वाजपेयी और उसके साथ प्रशांत शुक्ल को गिरफ्तार कर लिया गया है, आरोप है की जय वाजपेयी अपने साथी प्रशांत शुक्ला के साथ शूटआउट के दिन बीखरु गांव जाकर विकास दुबे को 2 लाख रुपये, 25 राउंड पिस्तौल की गोलियां दी जिससे विकास दुबे को घटना को अंजाम देने में मदद मिली। इतना ही नहीं शूटआउट के बाद जय वाजपेयी ने विकास दुबे की भागने में भी मदद की। जय वाजपेयी ने अपनी तीन लक्ज़री गाड़िया दी थी, लेकिन पुलिस की तगड़ी चेकिंग की वजह से उन गाड़ियों को लावारिश छोड़ दिया गया। पुलिस के मुताबिक 1 जुलाई को विकास दुबे ने जय वाजपेयी को फोन किया था और 2 जुलाई को जय और प्रशांत बिकरू गांव पहुंचे थे।
4000 रु.की नौकरी करता था जय
बताया जाता है कि आठ साल पहले जय वाजपेयी एक प्रिंटिंग प्रेस में 4000 की तनख्वाह पर नौकरी करता था। प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी करने के दौरान ही वह विकास दुबे के संपर्क में आया। इसके बाद विकास के साथ मिलकर जय वाजपेयी विवादित जमीनों की खरीद-फरोख्त करने लगा। लोगों का कहना है कि विकास दुबे, जय वाजपेयी के कहने पर बड़े निवेश करने लगा। इसमें जमीन में पैसे लगाने से लेकर ब्याज पर पैसे देने तक के कारोबार शामिल थे। विकास दुबे की काली कमाई का प्रबंधन करते-करते जय भी अकूत संपत्ति का मालिक बन गया। पुलिस का कहना है कि जय वाजपेयी के पास लखनऊ-कानपुर में अकूत संपत्ति है।
ईडी कर रही विकास की संपत्तियों की जांच
विकास दुबे की काली कमाई की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंप दी गई है। ईडी विकास दुबे और उसके करीबी जय वाजपेयी की अवैध चल-अचल संपत्तियों, आर्थिक अपराध की कुंडली खंगालने जा रही है। ईडी इस बात की जांच करेगी कि विकास दुबे ने जय वाजपेयी के साथ मिलकर कहां और कितनी अवैध संपत्तियां बनाई। सूत्रों के मुताबिक, विकास दुबे और जय वाजपेयी के पास कानपुर के साथ-साथ उत्तराखंड, मुंबई, नोएडा में करीब दो दर्जन से ज्यादा प्लॉट और मकान हैं। जय ने दुबई और बैंकॉक में करीब 25 करोड़ के दो आशियाने खरीद रखे हैं। जय वाजपेयी कानपुर के एक बड़े उद्योगपति और विकास दुबे के लिए प्रॉपर्टी डीलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का काम करता था।
आठ पुलिसकर्मियों की हुई हत्या
गत 2-3 जुलाई की रात विकास दुबे के घर पर क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा अपनी टीम के साथ दबिश देने पहुंचे थे। पहले से घात लगाए विकास दुबे और उसके गुर्गों ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इसके बाद अलग-अलग एनकाउंटर में विकास दुबे और उसके गुर्गे मारे गए।