नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व कैथोलिक पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने उस लड़की से शादी करने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिसके साथ उसने दुष्कर्म किया और उसे गर्भवती कर दिया था। केरल की दुष्कर्म पीड़िता ने भी वडक्कमचेरी से शादी करने की अनुमति के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
कोर्ट ने कही ये बात
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सब कुछ नोट करने के बाद जानबूझकर इस मामले में कड़ी टिप्पणी की है। पीठ ने कहा, 'हमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता।' इससे पहले, वडक्कमचेरी ने पीड़िता से शादी करने की मांग वाली याचिका के साथ केरल उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन इसे ठुकरा दिया गया था।
आरोपी ने की थी ये दरख्वास्त
सोमवार को, लड़की के वकील ने शीर्ष अदालत से वडक्कमचेरी को जेल से बाहर आने और उससे शादी करने की अनुमति देने का आग्रह किया और कहा कि यह उनका एक संयुक्त अनुरोध है।वडक्कमचेरी के वकील ने जमानत मामले में उच्च न्यायालय द्वारा की गई व्यापक टिप्पणियों का हवाला दिया। वकील ने जमानत याचिका में तर्क दिया, 'विवाह करने के मेरे मौलिक अधिकार में कैसे बाधा आ सकती है' और कहा कि ये टिप्पणियां ऐसी नहीं होनी चाहिए, जो उनके आवेदन के लिए बाधा बन जाएं। पीठ ने जवाब दिया, "आपने इसे स्वयं आमंत्रित किया है।'
2019 का है मामला
दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने पक्षकारों से मामले में उच्च न्यायालय जाने को कहा। पीठ ने कहा, 'उच्च न्यायालय जाओ।' फरवरी 2019 में, एक अदालत ने वडक्कमचेरी को एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने और गर्भवती करने का दोषी पाया और उसे 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद, चर्च ने उन्हें पुरोहित पद से बर्खास्त करने के लिए कदम उठाए और आखिरकार 2020 में उन्हें पद से हटा दिया।