Delhi Sandalwood Plantation News: राजधानी दिल्ली की फिजां को बदलने के लिए खास पहल होने जा रही है। इस मानसून में यहां के खाली पड़ी जमीनों, पार्कों व उद्यान में सफेद चंदन के पेड़ लगाए जाएंगे। इन पेड़ों की संख्या भी कुछ सौ तक सीमित नहीं है, इनकी संख्या दस हजार होगी। यह निर्देश उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सुंदर नर्सरी के दौरान अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के सभी भूस्वामित्व वाले विभाग अपनी खाली पड़ी जगहों की पहचान कर वहां पर चंदन का पेड़ लगाएं। एलजी ने कहा कि चंदन के पेड़ लगाने से जहां हरियाली आएगी, वहीं विभाग अपने भूमि संसाधनों से अच्छी आमदनी भी कर सकेंगे।
इस योजना को लेकर एलजी ने एमसीडी, दिल्ली पार्क्स एंड गार्डन सोसाइटी, डीडीए, दिल्ली बायोडायवर्सिटी सोसाइटी और अन्य विभागों को भी निर्देश दिया कि वे इस मानसून सीजन में अपनी जमीनों पर चंदन का पेड़ लगाएं। उन्होंने कहा कि सभी मिलकर इस योजना पर काम करें और इस सीजन में ही कम से कम 10 हजार चंदन के पेड़ दिल्ली के अंदर लगाएं। इस योजना को अगले सीजन में और आगे ले जाएं। इसके अलावा एलजी ने दिल्ली के आम लोगों से भी अपील की कि वे अपने यहां चार-चार चंदन के पेड़ अवश्य लगाएं। एलजी ने कहा कि जो किसान संसाधन की कमी से जूझ रहे हैं, वे चंदन के एक पेड़ से ही अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दे सकते हैं। अन्य बचे पेड़ों से वे अपना भविष्य व बुढ़ापा सवांर सकते हैं।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि चंदन के पेड़ आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद होते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि चंदन का पेड़ करीब 12 से 15 साल में तैयार होता है। अभी के रेट के हिसाब से एक पेड़ की कीमत 12 से 15 लाख रुपये होती है। इस दर पर अगर 10,000 चंदन के पेड़ों को दिल्ली में तैयार कर बेचा जाएगा तो उससे करीब 12 से 15 हजार करोड़ रुपये की आमदनी होगी। बता दें कि, अभी राज घाट पर कुछ पेड़ लगाए गए है़, जो 10 से 12 फुट के हो चुके हैं।
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