सीनियर अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार का वह ऑफर ठुकरा दिया है, जिसमें उनके सामने भारत का अगला अटॉर्नी जनरल (एजी) बनने के लिए कहा गया था। रविवार (26 सितंबर, 2022) को उन्होंने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया- मैंने भारत के अगले एजी बनने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। फैसले के पीछे कोई खास वजह नहीं है।
इस बीच, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि उन्होंने शुक्रिया कह कर इस ऑफर को ठुकराया। दरअसल, मौजूदा एजी के.के. वेणुगोपाल (91) का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो जाएगा। ऐसे में केंद्र ने वेणुगोपाल की जगह लेने के लिए इस महीने की शुरुआत में रोहतगी के सामने यह प्रस्ताव रखा था।
रोहतगी जून 2014 से जून 2017 तक अटॉर्नी जनरल थे। उनके बाद वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 29 जून को देश के इस शीर्ष विधि अधिकारी के पद के लिए फिर तीन महीने लिए नियुक्त किया गया था। केंद्रीय कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि वेणुगोपाल ‘व्यक्तिगत कारणों’ से अपनी अनिच्छा जताई थी, लेकिन 30 सितंबर तक पद पर बने रहने के सरकार के अनुरोध को उन्होंने मान लिया था।
अटॉनी जनरल के रूप में वेणुगोपाल का पहला कार्यकाल 2020 में समाप्त होना था और उन्होंने सरकार से उनकी उम्र को ध्यान में रखकर जिम्मेदारियों से मुक्त कर देने का अनुरोध किया था। लेकिन बाद में उन्होंने एक साल के नये कार्यकाल को स्वीकार कर लिया, क्योंकि सरकार इस बात को ध्यान में रखकर चाह रही थी कि वह इस पद बने रहें कि वह हाई-प्रोफाइल मामलों में पैरवी कर रहे हैं और उनका बार में लंबा अनुभव है।
सामान्यत: अटॉर्नी जनरल का तीन साल का कार्यकाल होता है। वरिष्ठ वकील रोहतगी भी उच्चतम न्यायालय एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों में कई हाई-प्रोफाइल मामलों में पैरवी कर चुके हैं।
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