नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने 31 जनवरी को एक ट्वीट करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री है। मेरे भी प्रधानमंत्री है। दिल्ली का चुनाव भारत का आंतरिक मसला है और हमें आतंकवाद के सबसे बड़े प्रायोजकों का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं। पाकिस्तान जितनी कोशिश कर ले, इस देश की एकता पर प्रहार नहीं कर सकता। ये बात उन्होंने पाकिस्तान के मंत्री चौधरी फवाद हुसैन के ट्वीट पर की, जिसमें वो दिल्ली चुनाव में मोदी को हराने की बात करते हैं।
फवाद चौधरी ने ये बात प्रधानमंत्री मोदी के एक बयान पर कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि सशस्त्र बल '7-10 दिनों में' पाकिस्तान को हरा सकते हैं। इसी पर फवाद हुसैन ने ट्वीट किया, 'भारत के लोगों को मोदी के पागलपन को हराना चाहिए, कई राज्यों के बाद अब दिल्ली में अपनी हार होती देख नरेंद्र मोदी काफी दबाव में हैं। इससे उबरने के लिए वह क्षेत्र को खतरे में डालने वाले बयान दे रहे हैं। अर्थव्यवस्था, नागरिकता कानून, कश्मीर पर हो रहे आंतरिक एवं बाहरी प्रतिक्रियाओं का देखते हुए वह अपना संतुलन खो चुके हैं।'
इसी को लेकर केजरीवाल ने फवाद चौधरी के साथ-साथ पाकिस्तान को भी खरी-खोटी सुना दी। केजरीवाल के जवाब पर उनके दोस्त और साथी रहे कवि कुमार विश्वास ने तंज कस दिया। विश्वास ने ट्वीट कर कहा, 'चुनाव क्या न कराए। जब इसी PM को “कायर-मनोरोगी” कह रह थे तब यह भेड़िया-धर्मी विनम्रता स्वराज में डाल रखी थी? जब सेना के शौर्य के सबूत मांग कर इसी पाकिस्तान में अपनी जयजयकार करवा रहे थे, सेना के शौर्य को मेरे प्रणाम वाले वीडियो पर अमानती-गुंडा छोड़ रहे थे, तब PM क्या 2G गुप्ता थे?'
बीजेपी नेताओं के निशाने पर केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्य रूप से 3 पार्टियां हैं- आप, बीजेपी और कांग्रेस। लेकिन मुख्य मुकाबला आप और बीजेपी के बीच ही माना जा रहा है। दोनों के बीच में जमकर बयानबाजी हो रही है। बीजेपी के बड़े-बड़े नेता खुलकर केजरीवाल पर निशाना साध रहे हैं। दिल्ली से बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने तो केजरीवाल को आतंकवादी तक कह दिया। गृह मंत्री अमित शाह भी केजरीवाल का नाम लेकर उन्हें खूब कोसते हैं। लेकिन इस सब के बीच केजरीवाल ने बीजेपी के शीर्ष नेताओं खासकर पीएम मोदी के लिए ऐसा कुछ नहीं बोला, जिस पर सवाल खड़े हों। ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एक समय ऐसा था, जब केजरीवाल हर बात के लिए हर मौके पर मोदी पर निशाना साधने और उन्हें घेरने का मौका नहीं छोड़ते थे।
केजरीवाल नहीं उठा रहे मोदी पर सवाल
दिल्ली चुनाव में आप की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी बीजेपी है और बीजेपी के सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी हैं। पार्टी चुनाव भी उन्हीं के चेहरे और कामों पर लड़ रही है। शाह भी कहते हैं कि दिल्ली और देश के सुरक्षा मोदी ही कर सकते हैं। ऐसे में सवाल है कि केजरीवाल पीएम मोदी पर, उनके काम पर सवाल क्यों नहीं उठा रहे हैं? वो भी ऐसे समय में जब देश के कई हिस्सों में सरकार के खिलाफ लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है, जिसे लेकर पीएम मोदी के फैसलों पर सवाल किए जाते हैं। लेकिन केजरीवाल फिर भी मोदी पर वैसे आक्रामक नहीं होते, जैसे अन्य विरोधी नेता हो रहे हैं।
काम पर वोट मांग रही AAP
इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं। एक तो ये कि केजरीवाल और आप का दिल्ली चुनाव के लिए शुरू से ही मानना रहा है कि वो अपने 5 साल के काम पर ही वोट मांगेगे। वो ऐसा कर भी रहे हैं। केजरीवाल और आप के अन्य नेता अपने काम को लेकर इतने विश्वास से भरे हुए हैं कि वो इस पर खुलकर चर्चा करना चाहते हैं, बात करते हैं और अपने काम गिनाते हैं। लेकिन इससे भी बड़ा कारण दूसरा हो सकता है। वो है कि मोदी का नाम लेकर और उन पर सवाल खड़े कर केजरीवाल ने ज्यादातर मौकों पर अपना नुकसान किया है। और इसके कई उदाहरण हैं।
मोदी विरोध केजरीवाल को पड़ा भारी
2014 लोकसभा चुनाव में मोदी को टक्कर देने के लिए केजरीवाल वाराणसी पहुंच जाते हैं। खूब हमला करते हैं, लेकिन मोदी कहीं भी उन पर पलटवार नहीं करते, नतीजे सबके सामने हैं। इसके बाद 2015 में दिल्ली में सरकार बनाने के बाद केजरीवाल हर बात के लिए पीएम मोदी पर सवाल उठाते रहे, कहते रहे हैं- मोदीजी उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं। कई बार वो पीएम के लिए कई ऐसे शब्दों का भी उपयोग कर गए, जिसके बाद लोगों ने उन्हें ही घेरने शुरू कर दिया। 2019 लोकसभा चुनाव तक ये जारी रहा। विधानसभा चुनाव में 67 सीट जीतने वाली आप लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई और यहां तक की कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर पर खिसक गई।
...ये कैसा विरोध
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद केजरीवाल एकदम से अपनी रणनीति बदल देते हैं। वे प्रधानमंत्री मोदी और उनके कामों पर सवाल नहीं उठाते हैं। कई मौकों पर तो वो खुलकर उनके फैसलों के साथ भी आते हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले के साथ आते हैं, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध करते हैं, लेकिन किसी विरोध-प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बनते हैं। शाहीन बाग के साथ खड़े होते हैं, लेकिन प्रदर्शन को 50 दिन होने को आए, एक बार भी वहां नहीं जाते हैं। 2016 में छात्रों के साथ खड़े होने जेएनयू पहुंचते हैं, लेकिन इस बार जेएनयू के साथ-साथ जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भी हिस्सा होती है, वो कहीं नहीं जाते हैं।
हालांकि उनकी इस रणनीति से उन्हें फायदा भी होता दिख रहा है, क्योंकि बीजेपी और उनके समर्थक उन्हें उस तरीके से नहीं घेर पर रहे हैं, जैसे पहले घेरा करते थे। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद ही आप ने नारा भी दिया था- 'दिल्ली में तो केजरीवाल'।
मोदी फॉर पीएम, अरविंद फॉर सीएम!
इस बीच हमारे पास एक फोटो भी आई है, जो कि आम आदमी पार्टी की ऑफिशियल वेबसाइट की है। ये 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव की है, जिसमें लिखा है- दिल्ली कहती है- मोदी फॉर पीएम, अरविंद फॉर सीएम। इसमें कहा जाता है कि दिल्ली के लोगों ने अपना मन बना लिया है। वे एक मजबूत पीएम चाहते थे इसलिए उन्होंने मोदीजी को पीएम चुन लिया। करप्शन, महंगाई, मजबूत फैसले, स्कूल-अस्पताल और ट्रांसपोर्ट की हालात सुधारने के लिए वे एक मजबूत सीएम चाहते हैं। वे अब मुख्यमंत्री पद के लिए केजरीवाल को चाहते हैं।
इन सबको देखकर कहा जा सकता है कि केजरीवाल और मोदी का रिश्ता बड़ा अजीब है। अब 11 फरवरी को दिल्ली चुनाव के नतीजे बताएंगे कि क्या केजरीवाल की ये रणनीति सफल होगा या नहीं।
Delhi News in Hindi (दिल्ली न्यूज़), Times now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Now Navbharat पर। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें।