नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के मामले में अब भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। कोरोना संक्रमितों की तादाद सात लाख के पार है। इन सबके बीच एक बुरी और दो अच्छी खबर आई। एक रिसर्च के मुताबिक अगर दिसंबर के अंत तक कोरोना की कोई वैक्सीन या दवा नहीं आई तो फरवरी 2021 से भारत में हर एक दिन मरीजों की संख्या 2.87 लाख होगी। लेकिन इसके साथ ही हम दिल्ली के रहने वाले 106 वर्षीय मुख्तार अहमद की कहानी बताएंगे जिन्होंने कोरोना को मात दी।
मुख्तार अहमद की नजर ने जो देखा
मुख्तार अहमद की उम्र के बारे में उनका परिवार दावा करता है कि वो 106 साल के हैं। दिल्ली में जिस तरह से लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में लोग आ रहे हैं उनमें से एक मुख्तार अहमद भी थे। जब शक हुआ तो उनका टेस्ट हुआ और जो जानकारी सामने आई उसके मुताबिक मामला गंभीर था। लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और इलाज की वजह से स्वस्थ हो गए। मुख्तार अहम स्वास्थ्य सुविधाओं की तारीफ करते हुए कहते हैं कि उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई।
1918 में आया था स्पेनिश फ्लू
मुख्तार अहमद की यह कहानी इसलिए अलग है कि उन्होंने 1918 के स्पेनिश फ्लू को देखा था हालांकि उस समय उनकी उम्र महज चार साल की थी। लेकिन तबाही के वो मंजर उनकी धुंधली जेहन में कैद है। जब उनसे पूछा गया कि तब और अब में क्या फर्क है तो वो बोलते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में इस तरह की महामारी नहीं देखी। वो कहते हैं कि 1918 में जब वो चार के साल थे तो देखा कि लोगों में एक तरह की अफरातफरी मची है। लोग हैरान और परेशान हैं, वो समझ नहीं पाते थे कि क्या हुआ है। लेकिन जब बड़ा हुए तो पता चला कि दुनिया उस वक्त खतरनाक बीमारी का सामना कर रही थी जिसे स्पैनिश फ्लू के नाम से जाना गया।
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