नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक छोटी सी सकारात्मक जानकारी भी उत्साह को बढ़ा देती है। दिल्ली में तीसरे सीरो सर्वे के नतीजे सामने आए हैं और उससे पता चलता है कि करीब 33 प्रतिशत आबादी में कोविड-19 ऐंटीबॉडीज का निर्माण हो चुका है। जानकार कहते हैं कि आप इसे कुछ यूं भी समझ सकते हैं, जैसे दिल्ली की 2 करोड़ आबादी में से करीब 66 लाख लोगों को कोरोना हुआ होगा। लेकिन ज्यादातर ऐसे लोग रहे होंगे जिन्हें पता भी नहीं चला होगा और वो अपने आप स्वस्थ हो गए होंगे। 11 जिलों में 17,000 सैंपल्स जुटाए गए थे।
अब तक तीन दफा हो चुके हैं सीरो सर्वे
महामारी की शुरुआत के बाद दिल्ली में यह सबसे ज्यादा सीरो प्रिवेलेंस है। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज ने पहले दोनों सीरो सर्वे भी किए थे। जून के अंत से लेकर जुलाई की शुरुआत में हुए पहले सर्वे में 23.4% लोगों में ऐंटीबॉडीज मिली थीं। इसके बाद अगस्त के पहले हफ्ते में दूसरा सीरो सर्वे हुआ जिसमें 29.1% लोगों में ऐंटीबॉडीज पाई गई थीं। पहले सर्वे में 21 हजार से ज्यादा सैंपल कलेक्ट किए गए थे जबकि दूसरे में 15 हजार। अगर सर्वे के नतीजे को देखें तो एक बात साफ है कि एंटीबॉडीज मिलने का दायरा बढ़ता गया और यह एक शुभ संकेत है।
एंटीबॉडीज का मतलब कोरोना से उबरना
जिन दिल्ली वासियों में ऐंटीबॉडीज हैं, वो अब कोरोना के शिकार नहीं हैं, इसका अर्थ यह है कि वो कोरोना से उबर चुके हैं। जानकार कहते हैं कि ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं चला कि वो कोरोना से प्रभावित हुए थे क्योंकि बहुत जल्द वो ठीक हो गए । सीरो सर्वे की खास बात यह है कि इससे पता चलता है कि कहां तक कोरोना का प्रसार हुआ है और उसके अध्ययन के बाद सरकार को नीति बनाने में आसानी होती है।
तीन एज ग्रुप में लिए गए थे सैंपल
बता दें कि सैंपल को तीन एज ग्रुप में लिया गया था। पहला समूह 18 वर्ष से कम लोगों था, दूसरा 18 से 49 वर्ष वाले और तीसरे में 50 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले। सबसे ज्यादा सैंपल 18 से 49 साल वाले लोगों के लिए गए। ताजा सीरो सर्वे सितंबर की पहली तारीख से शुरू होकर 7 तारीख तक चला। पहले से स्थानों को चिन्हित किया गया और रैंडम तरीके से सैंपलिंग की गई।जिन लोगों को पहले दोनों सर्वे में शामिल किया गया था उन्हें इस दफा दूर रखा गया था। बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार अक्टूबर में फिर सीरो सर्वे करा सकती है ताकि ऐंटीबॉडीज के प्रसार के बारे में जानकारी मिल सके।
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