नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दिल्ली सरकार ने अहम फैसला किया वो कुछ इस तरह है कि अगले सात दिन तक आवाश्यक सेवाओं को छोड़कर दिल्ली में दूसरा कोई शख्स दाखिल नहीं हो सकता है। इसके पीछे सीएम अरविंद केजरीवाल ने तर्क दिए हैं, यह बात अलग है कि जब हरियाणा सरकार की तरफ से बॉर्डर को सील किया गया था तो तर्क कुछ और ही था। दिल्ली सरकार के फैसले पर बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने केजरीवाल पर तंज कसा है हालांकि दिल्ली के सीएम ने क्या कुछ कहा उसे जानना जरूरी है।
अरविंद केजरीवाल का है यह तर्क
सीएम अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि सीमा खुलने की वजह से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, क्या दिल्ली के अस्पतालों देश के अलग अलग हिस्सों से आने वालों के लिए खोला जा सकता है। क्या कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इससे दबाव नहीं बढ़ेगा। क्या दिल्ली के अस्पतालों को दिल्ली के स्थानीय लोगों को आरक्षित नहीं कर देना चाहिए। इस विषय पर आप सभी का सुझाव अपेक्षित है।
गौतम गंभीर ने कसा तंज
केजरीवाल की इस अपील पर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और सांसद गौतम गंभीर ने निशाना साधा। वो कहते हैं कि अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए वो ऐले निर्दोष लोगों को सजा देना चाहते हैं जो सीमा के उस तरफ रहते हैं। वो सभी लोग हमारी और आपकी तरह भारतीय हैं। अप्रैल के महीने में आपने वादा किया था कि दिल्ली में 30 हजार मरीजों के लिए बेड तैयार है मिस्टर तुगलक आज आप ऐसे सवाल क्यों पूछते हैं।
पहले अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा था
रविवार को अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें डर लगता है, सवाल यह था कि आखिर किस बात से। उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि कोरोना के बढ़ते हुए मामले से ज्यादा चिंता इस बात की अगर मौत की संख्या में इजाफा हुआ तो क्या होगा। इसके साथ वो यह भी कहते हैं कि आज हमारे अस्पतालों के पास पर्याप्त सुविधा है अभी हमारे पास 6 हजार बेड्स हैं जो पांच जून तक बढ़ कर 9500 हो जाएंगे। दिल्ली में कोरोना के 17 हजार मामले हैं जिनमें से करीब 9 हजार स्वस्थ हो चुके हैं। इस समय महज 2100 लोग अस्पतालो ंमें बेड्स पर हैं।
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