Delhi Crime: राजधानी दिल्ली से पूरा देश कंट्रोल होता है। यहां पर बैठे नेता देश को चलाने के लिए नए-नए नियम बनाते हैं। यहां पर वीवीआईपी की भरमार के कारण दिल्ली पुलिस भी हमेशा अलर्ट पर रहती है। किताबी बातों को बानें तो दिल्ली देश की सबसे सुरक्षित जगहों में शामिल है, लेकिन यह सिर्फ किताबी बातें हैं। असल जिंदगी में दिल्ली भी आम शहरों जैसा है या यूं कहें कि यहां पर क्राइम का रिकॉर्ड बहुत ज्यादा है। चाहे निर्भया कांड हो या फिर जेसिका लाल केस। इस तरह के कई केस देश के साथ पूरी दुनिया में चर्चा के विषय जरूर रहे। ऐसे ही एक केस है साल 2006 का। अक्टूबर माह में एक सुबह तिहाड़ जेल के गेट नंबर-3 पर एक टोकरी मिली। जिसमें सिर कटी लाश रखी हुई थी। हत्यारे ने इस घटना के बारे में बकायादा पुलिस को फोन कर सूचित भी किया था।
घटना के बाद पूरी दिल्ली में हडकंप मच गया था, क्योंकि ये राजधानी में अपनी तरह की पहली घटना थी। इस घटना के बारे में नई पीढ़ी के लिए यकीन करना मुश्किल हो सकता है कि, दिल्ली में कुछ ऐसा भी हो सकता है वो भी तिहाड़ जेल के बाहर। लेकिन यह पूरी तरह से सत्य है और अब इस पर नेटफ्लिक्स पर हाल ही में एक डॉक्यू-सीरीज रिलीज हुई है, जिसका नाम है ‘दिल्ली का कसाई’ ये कहानी चंद्रकांत झा की है, जिसे दिल्ली का कसाई बताया गया है। चंद्रकांत झा ने कितने मर्डर किए हैं, ये शायद दिल्ली पुलिस को अभी भी नहीं मालूम, लेकिन जो तीन-चार मामले चर्चा में आए, उनका जिक्र ही इस सीरीज में किया गया है।
दिल्ली के वर्ष 2006-07 के दौरान अलग-अलग इलाकों में कुछ वक्त के अंतराल के बीच लाशें मिलनें लगी थी। पहली और दूसरी लाश तिहाड़ जेल के गेट नंबर-3 पर मिली थी। लेकिन दोनों के बीच कुछ वक्त का अंतर था, इसके बाद एक लाश और मिली जो टुकड़ों में बंटी थी। तीनों केस में सबसे कॉमन बात यह थी कि, मारने वाले ने इन सबके सिर काट दिए थे। साथ ही तीन में से दो लाश के साथ एक चिट्ठी भी छोड़ी गई थी। इस तरह से लाश मिलने से पुलिस अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
किलर दिल्ली पुलिस को खुले तौर पर चैलेंज कर रहा था। इस तरह के ही मामले में जब 20 अक्टूबर 2006 को दिल्ली के हरिनगर पुलिस स्टेशन में वो फोन बजा और फोन करने वाले ने बताया कि, उसने तिहाड़ जेल के गेट पर एक लाश रखी है तो पुलिस अधिकारी तत्काल वहां पहुंची। यहां पर उन्हें एक चिट्टी मिली। जिसे नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री में भी दिखाया गया है, इसमें लिखा था कि, ‘...अबतक मैं नाजायज केस झेलता रहा, लेकिन अब मैंने सच में मर्डर किया है। तुम लोग मुझे नहीं पकड़ पाओगे, मुझे केस खुलने का डर नहीं है। अगर तुम लोग मुझे पकड़ सको तो पकड़ कर दिखाओ, तुम्हारे इंतजार में तुम लोगों का बाप....। पुलिस ने लंबे समय तक इस चिट्ठी का ज़िक्र मीडिया में जगजाहिर नहीं किया था। हालांकि इस चैलेंज के बाद पुलिस ने अपना जाल फैलाना शुरू किया और आखिर कर उसे एक स्कैच के आधार पर मई 2007 में दबोच दिया। इन मामलों को लेकर चंद्रकांत झा को पहले फांसी की सजा हुई, लेकिन बाद में उसे उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया था यह दोषी अभी भी तिहाड़ की जेल में बंद है।
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