नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तिथियों की घोषणा कर दी। विधानसभा की 70 सीटों के लिए एक चरण में 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और चुनाव नतीजे 11 फरवरी को घोषित होंगे। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी को समाप्त हो रहा है। चुनाव तिथियों की घोषणा के साथ ही राजधानी में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि इस बाद दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कुल 1,46,92,136 मतदाता हैं। राजधानी में इस बार 13,750 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।
दिल्ली में इस बार मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी के बीच है। हालांकि, कुछ सीटों पर कांग्रेस मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है। माना जाता है कि शीला दीक्षित के निधन के बाद कांग्रेस राजधानी में और कमजोर हुई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भरोसा है कि जनता उनके विकास कार्यों पर भरोसा जताते हुए सत्ता की चाबी उन्हें एक बार फिर सौंपेगी। वहीं, भाजपा अनधिकृत कॉलोनियों सहित विकास के अन्य मुद्दों पर जनता के बीच जाएगी। चर्चा यह भी है कि भाजपा दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी और वह पीएम मोदी का चेहरा आगे कर चुनाव लड़ेगी।
2015 में आप ने दर्ज की बंपर जीत
साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी प्रचंड जीत दर्ज की। आप को विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल हुई। भाजपा इस चुनाव में किरण बेदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे मात्र तीन सीटों पर जीत मिली। दिल्ली में भाजपा को जिन तीन जगहों पर जीत मिली उनमें मुस्तफाबाद, विश्वास नगर और रोहिणी शामिल हैं। इन सीटों पर क्रमश: जगदीश प्रधान, ओम प्रकाश शर्मा और विजेंदर कुमार विजयी हुए। पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ उसे इस चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। आप को इस चुनाव मनें 54.3 प्रतिशत और भाजपा 32.1 प्रतिशत वोट मिले। भाजपा के वोट प्रतिशत में 2013 के मुकाबले एक प्रतिशत की कमी आई।
प्रशांत किशोर का मदद ले रही AAP
आम आदमी पार्टी इस बार अपने 2015 के प्रदर्शन को दोहराना चाहती है। अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने के लिए वह इस बार चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भी सेवाएं ले रही है। आप ने पिछले महीने अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की। इस मौके पर उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपनी पार्टी की जीत का भरोसा जताया। आप ने इस चुनाव के लिए अपना नारा दिया है-'अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल'।
भाजपा के लिए काफी अहम है दिल्ली का चुनाव
भाजपा और आप दोनों के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार हार का सामना करना पड़ा। गत पांच सालों की बात करें तो इन वर्षों में आप ने अपने कल्याणकारी योजनाओं के जरिए अपने पैर जमाए हैं और उसने राजधानी में विकास के दावा किए हैं। वहीं, भाजपा के हाल के वर्षों में विधानसभा चुनावों में कई राज्य गंवाने पड़े हैं। विगत एक साल के भीतर उसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड राज्यों की सत्ता से बाहर होना पड़ा है।
आप को अपने विकास कार्यों पर भरोसा
आप सरकार का दावा है कि उसने अपने किए हुए वादों को पिछले पांच साल के दौरान पूरा किया है। इसके अलावा उसने महिलाओं के लिए बस में मुफ्त सवारी, 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त, मुफ्त वाई-फाई, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त तीर्थयात्रा, पानी एवं सीवर का नया कनेक्शन मुफ्त जैसे लोकलुभावन योजनाओं की घोषणाएं की हैं जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है। केजरीवाल सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित, सीसीटीवी कैमरे, स्ट्रीट लाइट और बसों में मार्शल की तैनाती जैसे कदम उठाए हैं। आप को भरोसा है कि राजधानी की जनता उसके विकास कार्यों को सराहेगी और केजरीवाल एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे।
2019 में भाजपा ने जीतीं लोकसभा की सभी 7 सीटें
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजधानी की सभी सात सीटें जीतने में सफल हुई। लोकसभा चुनाव में दिल्ली के सभी क्षेत्रों में उसका दबदबा देखने को मिला। 2015 के विस चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 32.1 था लेकिन पिछले साल के आम चुनाव में उसे दिल्ली में 56.58 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि कांग्रेस 22.46 और आप को 18 प्रतिशत वोट मिले। लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से भाजपा उत्साहित है और उसे भरोसा है कि दिल्ली की जनता विधानसभा चुनाव में भी उस पर भरोसा जताएगी।
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