दिल्ली चुनाव 2020 : राजद भी उतार सकती है उम्मीदवार, पूर्वांचल के वोटों पर नजर

Delhi Chunav 2020: राजद नेता मनोज झा ने कहा कि दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वांचल समाज के लोग रहते हैं और ये लोग चाहते हैं कि पार्टी इस चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़ा करे।

Delhi Chunav 2020 : RJD may contest election eyes on Purvanchalis voters, दिल्ली चुनाव 2020 : राजद भी उतार सकती है उम्मीदवार, पूर्वांचल के वोटों पर नजर
दिल्ली चुनाव में अपने उम्मीदवार उतार सकता है राजद।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • दिल्ली में बड़ी संख्या में रहते हैं यूपी और बिहार के लोग
  • राष्ट्रीय जनता दल की है इस वोट बैंक पर नजर
  • दिल्ली में एक चरण में होगा चुनाव, 11 फरवरी को आएंगे नतीजे

नई दिल्ली : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) दिल्ली में पांच से छह सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहा है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान आठ फरवरी को होगा और नतीजे 11 फरवरी को आएंगे। राजद नेता मनोज झा ने शुक्रवार को पार्टी की मंशा के बारे में जानकारी दी। झा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, 'दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वांचल समाज के लोग रहते हैं और ये लोग चाहते हैं कि इस समाज की जिन क्षेत्रों में ज्यादा आबादी है, पार्टी उन सीटों से अपने उम्मीदवार खड़ा करे।'

राजद नेता ने कहा, 'यही कारण है कि हम पांच से छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के बारे में सोच रहे हैं।' दिल्ली में विधानसभा चुनाव एक चरण में होगा और यहां मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच है। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि भाजपा को तीन सीटें मिलीं। कांग्रेस लगातारर 1998 से 2013 तक लगातार सत्ता में रहने के बावजूद इस चुनाव में एक भी सीट जीत नहीं पाई।  

दिल्ली का इस बार का चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। आम आदमी पार्टी यदि अपना प्रदर्शन दोहराने में कामयाब हो जाती है तो राष्ट्रीय स्तर पर उसकी अहमियत बढ़ेगी और वह अपनी इस सफलता को अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार में इस्तेमाल करेगी। भाजपा ने 2019 के लोकसभा में शानदार प्रदर्शन किया है और उसने यहां की सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की। 

लोकसभा चुनाव में मिली सफलता से भाजपा उत्साहित है और वह अपने प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी। जबकि कांग्रेस के पास गंवाने के लिए कुछ भी नहीं है। शीला दीक्षित के निधन के बाद वह कमजोर जरूर हुई है लेकिन उसके पास कैडर और सांगठनिक ढांचा मजबूत है। उसे उम्मीद है कि वह इस चुनमा में वापसी करेगी। बहरहाल, दिल्ली की सत्ता की चाबी जनता के हाथ में है और अगली सरकार के बारे में वही फैसला करेगी। 

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