नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तबीयत ठीक नहीं बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि उनका कोरोना टेस्ट होगा। अरविंद केजरीवाल ने बुखार और गले में खराश की शिकायत की है, जिससे चिंता बढ़ रही है। अरविंद केजरीवाल ने रविवार दोपहर से अपनी सभी बैठकें रद्द कर दी हैं और खुद को आइसोलेट भी कर लिया है।
AAP सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, 'दिल्ली के मुख्यमंत्री भाई अरविंद केजरीवाल जी को कल 7 जून दोपहर से बुखार और गले में दर्द की शिकायत है उन्होंने डाक्टरों की सलाह पर खुद को घर में आइसोलेशन में रखा है। कल 9 जून को उनका कोरोना टेस्ट होगा। प्रभु से प्रार्थना है उन्हें जल्द स्वस्थ करें।'
वहीं आप विधायक और पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने ट्वीट किया, 'प्रिय अरविंद केजरीवाल- आप हमारे प्रेरणा और नायक हैं- कोरोनो वायरस के खिलाफ एक अग्रिम पंक्ति के योद्धा हैं। आपने खुद को दिल्ली के लोगों की भलाई के लिए जोखिम में डाल दिया। जैसा कि आप अस्वस्थ्य हैं, हमारे विचार, इच्छाएं और प्रार्थनाएं आपके साथ हैं।'
दिल्ली के अस्पताल सिर्फ दिल्ली वालों के लिए
केजरीवाल ने कल यानी रविवार दोपहर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीडिया को संबोधित किया और अपनी सरकार के बड़े फैसलों से अवगत कराया। इसमें उन्होंने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार और प्राइवेट अस्पताल दिल्ली वालों के लिए आरक्षित रहेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अस्पताल सभी देशवासियों के लिए खुले रहेंगे। कुछ निजी अस्पताल ऐसे हैं जो खास किस्म की सर्जरी करते हैं जो सर्जरी बाकी देशभर में उपलब्ध नहीं है। ऐसे अस्पताल पूरे देश के लोगों के लिए खुले रहेंगे।
इसके अलावा उन्होंने आज से दिल्ली के बॉर्डर खोलने का ऐलान किया और कहा कि कल यानी 8 जून से दिल्ली में सभी रेस्तरां, मॉल और पूजा स्थल खुलेंगे। हालांकि दिल्ली में होटल और बैंक्वेट हॉल बंद रहेंगे।
दिल्ली में बढ़ेंगे और केस
इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि अभी हमारे ऐप में 8500 से अधिक बेड खाली हैं। हमारे पास पर्याप्त बेड हैं पर बेड की क्षमता और बढ़ानी होगी क्योंकि समय के साथ केस भी बढ़ रहे हैं। 2 हफ्तों के अंदर दिल्ली में कोरोना के केस बढ़कर 56000 हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते केंद्र अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रोक देती तो स्थिति बेहतर हो सकती थी। मामलों को देखते हुए दिल्लीवालों के लिए अस्पतालों की आवश्यकता है। पड़ोसी राज्यों का कहना है कि उनके यहां कम मामले हैं इसलिए ये मुद्दा नहीं होना चाहिए।
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