Delhi Electric Buses: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों से परेशान दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक बसों पर अपना भरोसा जताया है। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अब दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बस फ्लीट को सीएनजी के बजाय इलेक्ट्रिक बस फ्लीट में बदलने का फैसला लिया है। सरकार ने डीटीसी के बेड़े में 1,500 लो-फ्लोर इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने की मंजूरी दे दी है।
दिल्ली सरकार ने एक बयान जारी कर बताया कि डीटीसी के बेड़े में अब 1,500 लो-फ्लोर इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया जाएगा। ये बसें राजधानी में पहले से चल रही सीएनएजी आधारित लो फ्लोर बसों से अलग होंगी। सरकार ने यह भी फैसला लिया कि दिल्ली ईवी नीति 2020 के तहत वह इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन और ‘बैटरी स्वैपिंग स्टेशन’ स्थापित करने के लिए विभिन्न एजेंसियों को 10 क्षेत्र भी आवंटित करेगी।
ई-बसों को चलाने के अलावा दिल्ली सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। अब डीटीसी की 75 बसें 5 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 11 मार्गों पर भी दौड़ेंगी। इसके अलावा डीटीसी में कांट्रेक्ट के आधार पर ड्राइवर के पद पर भर्ती होने वाली महिलाओं को ट्रेनिंग के दौरान दिए जाने वाले मानदेय को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये प्रति माह करने का भी फैसला किया है। हालांकि यह मानदेय केवल उन्हीं महिला ड्राइवरों को मिलेगा, जिनके पास एचएमवी यानी हैवी मोटर व्हीकल वाला ड्राइविंग लाइसेंस होगा।
दिल्ली में इन 1500 ई-बसों से पहले अगले सप्ताह 125 ई-बसें चलने जा रही हैं। ये बसें राजधानी पहुंच गई हैं। अभी इनका पंजीकरण किया जा रहा है, जो लगभग पूरा हो गया है। ये बसें दिल्ली सरकार ने 10 साल के समझौते के आधार पर दो कंपनियों से ली हैं। ई-बसें एक बार फुल चार्ज होने के बाद 120 किलामीटर तक दौड़ सकती हैं। इसके अलावा दो ई-बसें दिल्ली में पहले से ही चल रही हैं।
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