नई दिल्ली : दक्षिणपूर्व दिल्ली के द्वारका स्थित एक प्राइवेट हॉस्पीटल में एक शव की अदला बदली जैसी भारी लापरवाही का मामला सामने आया है। हॉस्पीटल स्टाफ ने ईसाई समुदाय की एक महिला का शव कोरोना पॉजिटिव महिला के परिजनों को सौंप दिया जो हिंदू समुदाय की थी। हॉस्पीटल स्टाफ ने लापरवाही से उस शव को कोरोना पॉजिटिव महिला का शव समझते हुए उसके परिवार को सौंप दिया जबकि वह ईसाई महिला का शव था। जब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ तो अस्पताल में बवाल हो गया।
69 वर्षीय गरीकापाटी परिसुड्डम कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं थी, सोमवार को उसकी मौत हो गई थी। मंगलवार को जब उसके परिजनों ने अस्पताल से उसका शव मांगा तो उन्हें कहा गया कि उसका शव हिंदू परिवार को सौंप दिया गया है जिसका उन लोगों ने अंतिम संस्कार भी कर दिया है। उसके शव को अस्पताल के मोर्चुरी में सुरक्षित रखा गया था ताकि साउथ इंडिया से उसकी बेटी और अन्य परिवार आकर उसे अंतिम बार देख सकें।
परिसुड्डम के बेटे मनोहर ने कहा कि मेरी मां बाथरुम जाते समय बेहोश हो गई थी जिसके बाद उसे अस्पताल लाया गया था जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। हमारा परिवार साउथ इंडिया में रहता है वे उसे अंतिम बार देखना चाहते थे जिसके कारण हमने अस्पताल के मोर्चुरी में शव को तब तक के लिए सुरक्षित रखने को कहा था। मंगलवार दोपहर को जब मैं अस्पताल गया तो पहले तो हमें काफी देर तक इंतजार कराया गया फिर हमें दूसरी महिला का शव दिखाया गया।
करीब एक घंटे बाद अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि उसकी मां के शव को एक हिंदू परिवार को सौंप दिया गया है जिसका उन्होंने अंतिम संस्कार भी कर दिया है। उसने बताया कि हैरानी की बात तो ये है कि कि हॉस्पीटल मोर्चुरी में दो महिला और एक पुरुष के शव मिलाकर कुल तीन शव थे। जिसमें मेरी मां ही बस नॉन कोविड थी बाकि दोनों कोविड संक्रमित थे। यह समझ के बाहर है कि अस्पताल ने शवों की टैगिंग करने में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर दी।
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