नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का संकट कम होता नजर नहीं आ रहा है। शनिवार को भी यहां वायु गुणत्ता सूचकांक (AQI) 499 दर्ज किया गया, जो हवा में भारी मात्रा में प्रदूषक तत्वों की मौजूदगी के कारण वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। स्मॉग के कारण बिगड़ते हालात के बीच अब केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने भी चेतावनी जारी की है और राज्य सरकारों से हालात को नियंत्रित करने के लिए 'आपात' कदम उठाने के लिए तैयार रहने को कहा है।
दिल्ली-एनसीआर में अक्टूबर के आखिर से ही प्रदूषण की स्थिति विकराल बनी हुई है, जिसमें दिवाली के बाद और बढ़ोतरी हुई है। इसमें पराली जलाने की घटनाओं के साथ-साथ दिवाली पर हुई आतिशबाजी का भी अहम योगदान है। बढ़ती ठंड व गिरते तापमान तथा हवा की कम होती रफ्तार के बीच यहां के वातावरण में धुंध साफ देखी जा सकती है। इन सबके बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने हालात की गंभीरता को देखते हुए लोगों को घरों से कम से कम बाहर निकलने और वाहनों का इस्तेमाल कम करने की सलाह दी है।
CPCB के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में 18 नवंबर तक स्थितियां अनुकूल होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि लोग बहुत आवश्यक होने पर ही घरों से बाहर निकलें। बोर्ड ने सरकारी और निजी कार्यालयों को वाहनों का इस्तेमाल 30 फीसदी तक तक करने के लिए कहा है। इसके लिए वर्क-फ्रॉम होम करने, कार पूलिंग जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी गई है। साथ ही यह भी कहा है कि सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए 'आपात कदम' उठाने के लिए भी तैयार रहें। कार्यान्वयन एजेंसियों को इस संबंध में की गई कार्रवाइयों की बारीकी से निगरानी करने और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स तथा संबंधित समितियों को रोजाना रिपोर्ट देने के लिए भी कहा गया है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए वाहनों का इस्तेमाल 30 फीसदी तक कम करने की CPCB की सलाह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का सबसे अहम कारक वाहनों को बताया गया है। इसके मुताबिक, दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण की भागीदारी सबसे अधिक लगभग 50 फीसदी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक बार फिर से ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू होगा?
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