नयी दिल्ली: कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिल्ली में सभी स्कूल 31 अक्टूबर तक बंद रहेंगे। दिल्ली सरकार ने पहले स्कूल बंद करने की अवधि 5 अक्टूबर तक बढ़ाई थी, हालांकि केंद्र सरकार ने नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों को 21 सितंबर से स्वैच्छिक आधार पर स्कूलों में बुलाने की अनुमति दी है।
उपमुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, 'शिक्षा निदेशालय को स्कूलों को बंद रखने के फैसले को 31 अक्टूबर तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। इस आशय के औपचारिक आदेश कल निदेशालय द्वारा जारी किए जाएंगे।' उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास शिक्षा विभाग भी है।
देश भर के विश्वविद्यालय और विद्यालय 16 मार्च से बंद हैं जब केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के उपायों के तहत देशभर में शिक्षण संस्थान बंद करने की घोषणा की थी।केंद्र सरकार ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी।
नवीनतम ‘अनलॉक’ दिशा-निर्देशों के अनुसार, निरूद्ध क्षेत्रों के बाहर स्थित स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान 15 अक्टूबर के बाद फिर से खुल सकते हैं। हालांकि, शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने का निर्णय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर छोड़ा गया है।
इन सबके बीच अगर कोई सबसे ज्यादा चिंतित हैं तो वो हैं माता-पिता। कोरोना के मामले भारत के करीब-करीब सभी राज्यों में दोबारा बड़ी तेजी से बढ़ने लगे हैं। ऐसे माहौल में माता-पिता के लिए यह आसान नहीं है कि वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार हो जाएं। माता-पिता की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए टाइम्स नाउ डिजिटल ने डॉक्टर तुषार पारीक( सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, खराड़ी, पुणे) से इस मामले पर विस्तृत बातचीत की थी। उनसे वो सारे सवाल किये गए जिनका जवाब इन दिनों माता-पिता तलाश रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमें बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए यह या नहीं ? बच्चों को स्कूल भेजते समय किस तरह की सावधानियां हमें बरतनी होंगी ?
बच्चों को स्कूल भेजने के सवाल पर डॉक्टर तुषार का कहना था कि चूंकि सरकार ने स्कूलों को खोलने की अनुमति दे दी है अगर आप अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं तो पहले इस बात को सुनिश्चित कर लें की स्कूल ने साफ-सफाई और कोरोना से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हों। पहले माता-पिता को स्कूल पर ऑनलाइन क्लास के लिए दबाव बनाना चाहिए। क्योंकि यह बच्चों के लिए सुरक्षित है। आगे डॉक्टर तुषार कहते हैं कि हर उम्र के इंसान को कोविड का बराबर खतरा है। बच्चे कोरोना करियर का काम कर सकते हैं। जिन बच्चों के अंदर खांसी, कमज़ोरी, दस्त और पेट दर्द। ऐसी बच्चों को स्कूल बिलकुल भी ना भेजें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
यह पूछे जाने पर के बच्चे कोविड-19 को लेकर थोड़ा अलग प्रतिक्रिया क्यों देते हैं ? तुषार कहते हैं बच्चों के अंदर कोविड के मामले बहुत काम देखे जाते हैं। लेकिन इसकी सही वजह का अभी तक पता नहीं चल पाया है। बच्चों के शरीर की कोशिकाओं पर ACE-2 रिसेप्टर उतने विकसित नहीं होते जो कोरोनावायरस के लिए अटैचमेंट पॉइंट का काम करते हैं। इस वजह से कोरोना का खतरा कम हो जाता है। यह भी माना जाता है कि बचपन में बच्चों को बीसीजी और एमएमआर के टीके लगते हैं जिससे इनकी प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। हालांकि बच्चे भी कोरोनावायरस की चपेट में आ सकते हैं या वो घर तक कोरोनावायरस ला सकते हैं। इस वजह से अधिक सावधान रहने की जरूरत है।
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