Nirbhaya : निर्भया मामले में चारों दोषियों को फांसी की सजा, स्वाति मालिवाल ने इस तरह फैसले का किया स्वागत

Nirbhaya Vervict: निर्भया मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने स्वागत करते हुए लिखा- सत्यमेव जयते।

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निर्भया मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वाति मालीवाल ने किया स्वागत 
मुख्य बातें
  • निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को सुनाई फांसी की सजा
  • 22 जनवरी 2020 को मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता को दी जाएंगी फांसी
  • दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

नई दिल्ली : 16 दिसंबर 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार अपना फैसला सुना दिया है। इस जघन्य अपराध में शामिल चारों आरोपियों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी है जिन्हें 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। इसी के साथ ही पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है। 

इसी कड़ी में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी अपनी खुशी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए मालीवाल ने अपने ट्विटर पर लिखा- सत्यमेव जयते।

बता दें कि करीब करीब 7 सालों की लड़ाई लड़ने के बाद इस मामले में निर्भया की मां को न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि ये फैसला आने में 7 साल लग गए। 7 साल बहुत लंबा समय होता है। मैं काफी समय से आमरन अनशन पर भी इसलिए बैठी थी। मेरी मांग भी यही थी कि किसी भी गैंगरेप के आरोपी को 6 महीने में सजा दी जाए, 6 महीने के अंदर इस तरह के मामलों पर फैसला आ जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करती हूं, मुझे लगता है कि ये देशभर में हर निर्भया की जीत है जो इस तरह तकलीफों से गुजरी हैं। मुझे निर्भया के माता औऱ पिता के लिए खुशी है क्योंकि न्याय के लिए सबसे ज्यादा लड़ाई उन्होंने लड़ी है औऱ मुझे लगता है ये जीत उनकी जीत है।  

आपको बता दें कि निर्भया के दोषियों के खिलाफ मृत्यु वारंट जारी करने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने फांसी देने के आदेश की घोषणा की। मामले में मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता को फांसी दी जानी है।

उधर, निर्भया की मां ने दोषियों की फांसी की सजा की तिथि मुकर्रर किए जाने के बाद कहा कि यह आदेश (मौत की सजा पर अमल के लिए) कानून में महिलाओं के विश्वास को बहाल करेगा।

 

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