दिल्ली की प्रदूषित वायु के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं और यहां की हवा लोगों को बीमार कर रही है, खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों को, ऐसे लोग जो पहले से ही एलर्जी और अस्थमा से पीड़ित हैं उनपर भी प्रदूषण का काफी बुरा असर पड़ रहा है वहीं इस प्रदूषित हवा से बच्चों को एलर्जी और सर्दी हो रही जिन बच्चों और लोगों को पहले से ही अस्थमा है,उन्हें पहले से ज्यादा अस्थमा परेशान कर रहा है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इन दिनों डॉक्टरों के यहां ऐसे मरीजों की तादाद बढ़ गई है जो एयर पल्यूशन की मार से बेहाल हैं और ज्यादातर मामले इसी से संबधित सामने आ रहे हैं, कुछ लोगों की हालत तो इतनी ज्यादा खराब है कि उन्हें इलाज से भी फायदा नहीं मिल रहा है तो ऐसे लोगों का एडमिट कर इलाज किया जा रहा है।
वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता की समीक्षा की और कहा कि अगले पांच दिनों के दौरान पराली जलाने का वायु प्रदूषण में योगदान बढेगा तथा वायु गुणवत्ता सूचकांक 'बहुत खराब' और 'गंभीर' श्रेणियों के बीच रहेगा।स्थिति का जायजा लेते हुए बोर्ड ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को सड़कों पर पानी के छिड़काव के साथ-साथ श्रेणीबद्ध कार्रवाई योजना (ग्रैप) का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया।संबंधित एजेंसियों को संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों एवं समितियों को रोजाना रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
सीपीसीबी ने कहा, 'उप-समिति ने आठ नवंबर को एक बैठक बुलायी थी और उसने वायु गुणवत्ता दर्जे, मौसम एवं वायु प्रदूषण अनुमान की समीक्षा की।'उसने कहा, 'आईएमडी के अनुमान के अनुसार अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर पश्चिमी हवा चलने की संभावना है जिसे पराली जलाने पर बड़ी मात्रा में धूलकण आयेंगे। इसके अलावा आगामी दिनों में अनुकूल मौसम से वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' एवं 'गंभीर' श्रेणी के आखिरी छोरों के बीच रह सकती है।' उसने प्रशासन को सड़कों की यांत्रिक सफाई, पानी का छिड़काव बढ़ाने तथा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि दिल्ली एनसीआर में ईंट के भट्ठे , हॉट मिक्स संयंत्र और स्टोन क्रैशर बंद हो जाएं।
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