नई दिल्ली: भारत मे हर साल वायु प्रदूषण और उससे होने वाले रोगों से लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं। खासकर के उत्तर भारत मे ठंड के मौसम में वायु में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। जिसमें सबसे बड़ी भूमिका पराली जलाने की मानी जाती हैं। हालांकि हर साल इसको लेकर दिल्ली एनसीआर के राज्य एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर देते हैं। इसी के चलते केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली समेत हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों के साथ बैठक करके इस समस्या का समाधान निकालने को लेकर एक फ्रेम वर्क बनाया गया।
बात करें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तो वो आजकल हर रोज दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर को लेकर ट्वीट कर रहे हैं कि अभी हवा साफ है। लेकिन साथ ही ये भी लिखने से नहीं चूक रहे कि अक्टूबर और नवम्बर में पराली जलाने से हवा प्रदूषित होती है। दरअसल ये पराली ही वो वजह है जो दिल्ली और बाकी के राज्यों के बीच विवाद का विषय बनती है। किसानों को पराली जलाने से रोकने, इसके औद्योगिक इस्तेमाल को बढ़ावा देने के साथ ही साथ बायो डिकम्पोजर किसानों को मुहैया कराने को लेकर आज हुई बैठक में सार्थक समाधान निकलने की बात कही गई।
23 सितम्बर को हुई बैठक को लेकर पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सभी राज्यों ने अपने यहां के किसानों को बायो डिकम्पोजर के कैप्सूल बांटने शुरू कर दिए हैं वहीं दिल्ली पूसा डिकम्पोजर दे रहा है। साथ ही ऊर्जा मंत्रालय की मदद से नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन किसानों से 20 हज़ार टन पराली की खरीद करेगा. जिसके जरिये बिजली का उत्पादन किया जाएगा. साथ ही पराली को नष्ट करने के लिए ज्यादा से ज्यादा मशीने मुहैया कराई जाएंगी।
हालांकि आशंका इस बात की भी जतायी जा रही है पंजाब में चुनाव है और कृषि कानूनों से नाराज़ किसान पिछले सालों की तुलना में और ज्यादा पराली जला सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली में एक बार हवा जहरीली होगी. ऐसे में पंजाब में किसानों पर कार्रवाई करना एक बड़ी चुनौती होगी।
दूसरी तरफ 2005 के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार एयर क्वालिटी को लेकर गाइडलाइंस जारी की है। बात करें भारत की तो तो एयर क्वालिटी और प्रदूषण को कंट्रोल करने के जो मानक तय किए गए हैं वो WHO के मानकों के मुकाबले काफी निम्न स्तर के हैं वहीं यूरोपीय यूनियन के मानक काफी उच्च स्तर के हैं। भारत में PM 2.5 के कंसन्ट्रेशन की बात करें तो जो आंकड़े 24 घंटे में 25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए वो 60 माइक्रोग्राम है। फिर भी भारत में जो मानक तय हैं वो भी मुश्किल से पूरे हो पाते हैं। हालांकि सरकार ने साल 2024 वायु प्रदूषण को कुछ शहरों में 20 से 30 फीसदी घटाने का लक्ष्य रखा है।
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