नई दिल्ली : वर्ल्ड रिसॉर्सेज इंस्टीट्यूट इंडिया (WRII) ने इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल कम्यूनिटीज (आईएससी) के सहयोग से भारत के एसएमई के लिए स्वच्छ ऊर्जा और न्यायसंगत परिवर्तन विषय पर नई दिल्ली में सोमवार को एक सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन का आयोजन दुनिया भर मे मनाए जा रहे विश्व सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) दिवस के अवसर पर किया गया था। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था और सतत विकास में इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान के प्रति जनजागरूकता पैदा करना था।
पूरे दिन के इस सम्मेलन में प्रौद्योगिकी और वित्त की सुलभता के तरीकों पर पैनल चर्चा हुई कि कैसे यह छोटे व्यवसायों के लिए स्वच्छ ऊर्जा समाधान के लिए संक्रमण में तेजी ला सकता है, और रोजगार एवं आय के नए रास्ते बनाते हुए यह संक्रमण सामाजिक रूप से न्यायसंगत कैसे हो सकता है। मुख्य भाषण देते हुए अभय बाकरे, महानिदेशक, ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशियंसी ने प्रतिक्रियाशील, लचीला, अत्यधिक कुशल होने और ऊर्जा के स्वच्छ रूपों में संक्रमण के लिए कम से कम निवेश की आवश्यकता वाले भारत के एमएसएमई क्षेत्र की लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "हमारे लिए, एमएसएमई क्षेत्र हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और हमें विश्वास है कि हम एसएमई क्षेत्र के लिए जो कुछ भी करते हैं, उससे भारत द्वारा स्वच्छ ऊर्जा को उपयोग में लाने के तरीके को आकार मिल सकेगा।"
प्रौद्योगिकी पैनल का संचालन करते हुए, आईएससी के इंडिया कंट्री डायरेक्टर, विवेक अधिया ने कहा कि यह स्पष्ट है कि भारत के छोटे व्यवसायों के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी के रास्ते मौजूद हैं, लेकिन वे एमएसएमई क्षेत्र की विशिष्ट क्लस्टर-विशेष की आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
इस सम्मेलन के साथ भारत सरकार की प्रौद्योगिकी सूचना पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (टीआईएफएसी) के सहयोग से WRI India और आईएससी के इनोवेटिव क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म (आई-सेट) के सप्ताह भर के शुभारंभ का समापन भी हुआ। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य भारत के छोटे व्यवसाय क्षेत्र में स्वच्छ प्रौद्योगिकी नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। आई-सेट (I-CET) राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय समाधानों के परे जाते हुए छोटे व्यवसायों की क्लस्टर-विशेष तकनीकी चुनौतियों को हल करने पर जोर देगा।
आई-सेट के आरंभ में, इस प्लेटफॉर्म ने देश के चार स्थानों पर स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी रोड-शो आयोजित किए। प्रत्येक रोड-शो में विशिष्ट क्लस्टर्स के लिए उद्यमियों और इनोवेटर्स द्वारा प्रयास किए जा रहे समाधानों पर ध्यान देने का प्रयास किया गया। इसकी शुरुआत तमिलनाडु के तिरुपुर से हुई, जहां शहर के विशाल टेक्सटाइल क्लस्टर्स के लिए समाधान तैयार करने पर जोर दिया गया; और कोच्चि, केरल में शहर में भूमि की कमी से जूझ रहे खाद्य प्रसंस्करण और सीफूड क्लस्टर्स के लिए समाधान प्रदर्शित किए गए। अन्य दो तकनीकी रोड शो गुजरात के अहमदाबाद और हरियाणा के करनाल में आयोजित हुए। इन दोनों स्थानों पर इनोवेटर्स ने रसायनों और डाई क्लस्टर्स एवं लकड़ी और इसके उप-उत्पादों के लिए समाधान प्रदर्शित किए।
टेलरमेड रिन्यूएबल्स लिमिटेड (टीआरएल), आई-सेट के टेक्नोलॉजी रोड शो का विजेता था। टीआरएल ने अपनी प्रौद्योगिकी टीआरएल रेन को प्रदर्शित किया, जो अत्यधिक कम ऊर्जा उपयोग के साथ जीरो एफ्लुएंट डिस्चार्ज निर्माण सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास करती है। उनका नवाचार खाद्य, रसायन, वस्त्र और अन्य क्षेत्रों में अपशिष्ट और ग्रीनहाउस गैसों को कम करने में मदद करेगा। टीआरएल के प्रेसिडेंट और प्रबंध निदेशक धर्मेंद्र गोर ने कंपनी की ओर से पुरस्कार ग्रहण किया।
आगे बढ़ते हुए, आई-सेट प्रतिभागियों को संभावित निवेशकों, ग्राहकों और भागीदारों के साथ जोड़कर स्वच्छ तकनीक चुनौती का समर्थन, प्रचार और "डी-रिस्क" करेगा। सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में जरनैल सिंह, उप-निदेशक, भारत कार्यालय, मैकआर्थर फाउंडेशन और डॉ. ओ पी अग्रवाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, WRI India शामिल रहे।
अपने स्वागत भाषण में, डॉ. अग्रवाल ने कहा, “भारत, देश के 63 मिलियन लघु व्यवसायों के मजबूत समुदाय की ऊर्जा आवश्यकताओं और स्वच्छ ऊर्जा चुनौतियों का हल किए बिना वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता है। इस क्षेत्र के समाधान उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बना देंगे, क्योंकि अधिकाधिक बहुराष्ट्रीय निगम अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को डीकार्बोनाइज करने की तलाश में हैं।" इस क्षेत्र में न्यायसंगत तरीके से पारगमन की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, उन्होंने आगे कहा, "अधिक स्वच्छ ऊर्जा और निम्न कार्बन परिचालनों की दिशा में बढ़ने से क्षेत्र की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और लाभ मार्जिन, कौशल विकास, पुनर्कौशल विकास एवं वित्तपोषण यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं कि स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग का सभी को समतुल्य लाभ मिले और कोई भी पीछे न छूटे।"
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