नई दिल्ली। देश के अलग अलग हिस्सों में ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी के साथ दवाइयों की भी होर्डिंग हो रही है औक उसका असर उन लोगों पर पड़ रहा है जिनके परिजन अस्पातलों में कोविड से जुझ रहे हैं। राजधानी दिल्ली भी उससे अछूती नहीं है। इन सबके बीच पुलिस अभियान चलाकर उन लोगों पर शिकंजा कस रही है जो इंसानियत के दुश्मन बन बैठे हैं।
कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ मुहिम
दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में बड़े पैमाने पर मुहिम चलाई है, पुलिस इसके लिए ह्यूमन इंटेलिजेंस के साथ साथ अब सोशल मीडिया पोस्ट, छद्म भेष में कालाबाजारी करने वालों पर निगाह भी रख रही है ताकि समाज के इन दुश्मनों को कानून की गिरफ्त में लाया जा सके। पुलिस ने हाल ही में छद्म भेष में कुछ लोगों को संदिग्ध लोगों की गोदामों पर भेजा था और उन्हें पकड़ने में कामयाबी भी हासिल की है।
दवाओं की हुई कृत्रिम कमी
मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की, और कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी और महत्वपूर्ण दवाओं के व्याप्त होने के बाद से इसकी प्रणाली काम नहीं कर रही है।दिल्ली को ड्रग्स की भारी कमी के कारण मारा गया है। रेमेडीसविर, फेविप्रारिर और इवरमेक्टिन, एक कमी जो होर्डर्स और काले बाजारियों द्वारा की गई है और कालाबाजारी करने वाले उन्हें खुदरा मूल्य से 10-15 गुना अधिक दरों पर बेच रहे हैं।
3 हजार की रेमेडिसिविर का मनमाना दाम
उत्तरी दिल्ली में एक डीलर ने ग्राहक को 25,000 रुपए में रेमेडिसिविर की एक शीशी बेचने की पेशकश की जबकि एमआरपी 3,000 का था।पुलिस ने कहा कि उन्होंने अस्पतालों और फार्मेसियों में कर्मचारियों की गतिविधियों की निगरानी करना शुरू कर दिया है ताकि यह देखा जा सके कि ऑक्सीजन और दवाएँ काला बाज़ार तक कैसे पहुंच रही हैं।
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