नई दिल्ली। कोरोना वायरस एक बार फिर हाहाकार मचा रहा है। ही महाराष्ट्र सरकार ने पुणे में तीन अप्रैल से नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। इन सबके बीच सीएम उद्धव ठाकरे रात 8.30 बजे संबोधन देंगे। फरवरी में जो आंकड़े 10 से 20 हजार के बीच थे उसमें एकाएक मार्च के महीने में उछाल आने लगा। इसके साथ ही गुरुवार को 72 हजार के आंकड़े ने तो डरा दिया है। अगर बात राजधानी दिल्ली की करें तो इस समय 2800 केस सामने आए हैं यह इसलिए चिंता की परेशानी बन रहे है क्योंकि कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और अप्रैल में दिसंबर 2020 जैसे हालात एक बार फिर नजर आ रहे हैं।इसके साथ
दिल्ली में कोरोना के मामले
बढ़े आंकड़े, बढ़ी धड़कन
अगर दिल्ली के आंकड़ों पर नजर डाले 8 दिसंबर 2020 को तीन हजार से ज्यादा केस आए थे। इस समय दिल्ली में संक्रमण की दर 3.57 फीसद है जबकि दिसंबर में यही आंकड़ा 3.73 पर था। दिल्ली में अभी तक मरने वालों की तादाद 11 हजार के पाक हैय़ इस समय दिल्ली में करीब साढ़े पांच हजार लोग होम आइसोलेशन में हैं। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि फरवरी में कोरोना के आंकड़े गिरावट पर थे उनमें एकाएक उछाल आ गया। इस विषय में जानकारों की राय अलग है।
लापरवाही बड़ी वजह
जानकार कहते हैं कि दरअसल कोविड वैक्सीन के आने के बाद लोग लापरवाह हो गए हैं। लापरवाही की वजह से लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग उतनी संजीदगी से नहीं कर रहे हैं और इसका असर कोरोना के बढ़ते मामलों में देखा जा सकता है। कोरोना पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने सख्ती का ऐलान किया है लेकिन व्यावहारिक तौर पर वो पालन होते हुए नजर नहीं आ रहा है।
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