नई दिल्ली: कोरोना महामारी के मामलों की गति धीमी पड़ने के साथ ही मेट्रो भी अब अपनी पूरी कैपेसिटी के साथ दौड़ रही है। हालांकि अब मेट्रो के बाहर लोगों को घंटों लाइन में लगे रहना आम हो गया है, जिससे लोगों के चहरे पर गुस्सा तो कहीं मेट्रो को लेकर चिड़चिड़ापन बना रहता है।दिल्ली मेट्रो में करीब एक साल बाद ऐसा हुआ है, जब मेट्रो इस तरह दौड़ने के लिए तैयार हुई है। सौ फीसदी कैपेसिटी के साथ मेट्रो चलना शुरू तो हुई, लेकिन बाहर लोगों की लाइन में कोई कमी दिखाई नहीं दी।
नौजवानों के साथ-साथ सीनियर सिटीजन भी लाइनों में लगे हुए हैं। कुछ लोग घंटे भर से सिर्फ मेट्रो से अपने घर जाने के लिए खड़े हैं तो कुछ सवारी मेट्रो की लंबी लाइन देख ऑटो से ही सफर करने पर मजबूर हैं। अब इसके लिए उन्हें ऑटो वाले को भले ही ज्यादा पैसे क्यों न देने पड़े।
राजीव चौक मेट्रो के बाहर लगी सिनियर सिटीजन की लाइन में लगे राजीव बंसल ने नाराजगी भरे अंदाज में कहा, जब 100 फीसदी कैपेसिटी के साथ सफर शुरू हुआ है तो सभी गेट क्यों नहीं खुलते?
बारिश में हम खड़े हैं, इनपर इसका कोई असर नहीं, कोई कहने-सुनने वाला नहीं, सब भेड़ चाल बनी हुई है।वहीं मेट्रो स्टेशन पर करीब 45 मिनट से खड़े आमिर बताते हैं कि करीब एक घंटा लोग रोजाना ऐसे ही खड़े होते हैं। यदि इतनी लंबी लाइनें लगाकर कोविड से बचाव हो रहा है तो फिर यही जानते होंगे कि कैसे बचाव हो रहा है।
उन्होंने कहा, लाइनों में क्या भीड़ नहीं लग रही है, राजीव चौक पर कई दरवाजे हैं, उसमें से सिर्फ एक गेट खोल रहे हैं। ऑफिस से लक्ष्मी नगर जाने का रास्ता सिर्फ 15 मिनट का है, लेकिन हर दिन 2 घंटे लग रहे हैं। ये नजारा सिर्फ राजीव चौक मेट्रो स्टेशन का नहीं है, बल्कि इसी तरह लोग जनपथ मेट्रो स्टेशन के बाहर भी खड़े रहते हैं। दिल्ली के अलग-अलग मेट्रो स्टेशनों पर सुबह और शाम काफी भीड़ देखने को मिलती है, लाइनों में लगे लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग नहीं के बराबर है।
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