नई दिल्ली : रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) निर्माणकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली में आरओ पर आंशिक रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने निर्माणकर्ताओं से अपनी शिकायत संबंधित मंत्रालय के पास ले जाने के लिए कहा है। एनजीटी का कहना है कि प्यूरीफायर्स 'अनावश्यक रूप से पीने जाने योग्य पानी व्यर्थ कर देते हैं।'
बता दें कि एनजीटी ने जहां के पानी में कुल घुलनशील पदार्थ (टीडीएस) की मात्रा प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है उन जगहों पर आरओ फिल्टर्स न लगाने का आदेश दिया है। आरओ निर्माणकर्ताओं की ओर से पेश वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आरओ का निर्माण करने वाली कंपनियों को अपनी शिकायत संबंधित मंत्रालय के पास ले जाने का आदेश दिया है। एनजीटी ने अपने आदेश में सरकार को प्यूरीफायर्स के इस्तेमाल पर लोगों को जागरूक करने के लिए भी कहा है।
मामले की सुनवाई करते हुए आरएफ नरीमन एवं एस रवींद्र भट्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एसोसिएशन जरूरी दस्तावेजों के साथ 10 दिनों के भीतर संबंधित मंत्रालय के पास जा सकता है। इसके बाद एनजीटी के निर्देश के अनुरूप अधिसूचना जारी करने से पहले सरकार इस बारे में विचार कर सकती है। सुनवाई के दौरान एसोसिएशन की ओर से पेश वकील ने दिल्ली में प्रदूषित पेयजल की आपूर्ति बताने वाली ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) की रिपोर्ट का हवाला दिया।
क्या है मामला
बता दें कि दिल्ली में आरओ फिल्टर्स के इस्तेमाल पर एनजीटी ने प्रतिबंध लगाया है। इस प्रतिबंध के खिलाफ वॉटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन ने गुरुवार को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। एनजीटी का कहना है कि आरओ फिल्टर्स 'अनावश्यक रूप से पीने योग्य 80 प्रतिशत पानी व्यर्थ' कर देते हैं। एनजीटी ने अपने 20 मई के आदेश में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को दिल्ली में आरओ फिल्टर्स की बिक्री एवं उत्पादन के लिए नियम बनाने का आदेश दिया। साथ ही एनजीटी ने उन जगहों पर आरओ फिल्टर्स के इस्तेमाल पर रोक लगाई जहां के पानी में टीडीएस की मात्रा कम है।
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