ऑक्सीजन और अवमानना के मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की तरफ से दलील देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब केंद्र सरकार के अधिकारी ऑक्सीजन मुहैया कराने के संबंध में दिन रात कोशिश कर रहे हैं ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा अवमानना प्रोसिडिंग का आदेश देना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी है और दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई के संबंध में गुरुवार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
अधिकारियों को जेल में डालने से ऑक्सजीन नहीं मिलेगी
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जेल में अधिकारियों को डालकर या उनकी खिंचाई करके या अवमानना का केस चलाकर ऑक्सीजन नहीं लाई जा सकती है। आप बताएं कि ऑक्सीजन की सुनिश्चित सप्लाई के लिए आप कौन से कदम उठाए हैं।इसी मुद्दे पर जस्टिस शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर किसी को भी तनिक संदेह नहीं है कि कुछ लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुए हैं और यह नेशनल इमरजेंसी है।
केंद्र सरकार ठोस प्लान बताए
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप ऑक्सीजन के लिए इधर उधर भाग रहे हैं। आप ठोस जवाब दीजिए कि क्या कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक तरफ दिल्ली सरकार से कहा कि आप मुंबई से क्यों नहीं कुछ सीखते हैं। किस तरह से उन्होंने कोरोना काल में अच्छा काम किया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार से पूछा कि वो बताए कि कैसे दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित होगी। यहां पर सिर्फ एक दूसरे की खामियों को बता या गिनाकर कुछ नहीं होने वाला है। आप लोगों को बताना होगा कि इस समस्या से निपटने के लिए उपाय क्या है।
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