बाबा का ढाबा के मालिक कांता प्रसाद इस समय सफदरजंग अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। फिलहाल आल इज नॉट वेल है।कांता प्रसाद के साथ ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने खुदकुशी की कोशिश की। इस विषय पर उनकी पत्नी से बेहतर कौन बता सकता है। उनकी पत्नी बादामी देवी कहती हैं कि उन्हें कुछ नहीं पता, उन्हें नहीं पता कि उनके पति ने क्या खाया। उन्होंने नहीं देखा था। वह बेहोश हो गये और उस समय ढाबे पर बैठी थी। मैं उन्हें लेकर अस्पताल आई। डॉक्टर ने अभी तक हमें कुछ नहीं बताया है। पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा था।
कांता प्रसाद के कई रंग
कोरोना की पहली लहर से पहले लोग दिल्ली के मालवीय नगर स्थित बाबा का ढाबा के मालिक कांता प्रसाद से अंजान थे। कोरोना काल में जब उनकी दुकान पर लोगों की आवाजाही कम हुई तो एक यूट्यूबर गौरव वासन पहुंचता है और उन्हें दुनिया से रूबरू कराता है। कांता प्रसाद की हालात को देखकर लोग उनकी झोली भर देते हैं, उनकी झोली इतनी भरती है कि जिन सपनों को संजोया था उसे पूरा करने के लिए निकल पड़ते हैं और यहीं से उनकी कहानी का दूसरा अध्याय शुरू होता है।
बाबा का ढाबा से रेस्टोरेंट के सफर के बीच में कांता प्रसाद उसी शख्स गौरव वासन पर आरोप लगा देते हैं जो उनकी जिंदगी को संवारता है, खैर कांता प्रसाद की प्राथमिकता से गौरव वासन कहीं दूर चला जाता है, वो कुछ दूसरे लोगों की मदद से रेस्टोरेंट खोल लेते हैं लेकिन यहां उनकी किस्मत या मेहनत काम नहीं आती है और रेस्टोरेंट के व्यापार में घाटा होता है। घाटा इतना कि वो अपने नए वेंचर को समेट कर फिर उसी जगह आ जाते हैं जहां से व्यवसायिक पारी शुरू की थी। बाबा का ढाबा पर आने के बाद उन्हें अपनी गलती का अहसास होता है और वो गौरव वासन से माफी मांग लेते हैं। इसी के साथ कांता प्रसाद की जिंदगी की तीसरा अध्याय भी शुरू होता है। इस समय वो दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती है और मौत के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं।
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