नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच 36 के आंकड़े किसी से छिपे नहीं है। हाल ही में जब दिल्ली सरकार में एलजी और सीएम की भूमिका के संबंध में लोकसभा में बिल पेश किया गया तो आम आदमी पार्टी भड़क गई। उसके बाद जब डोर स्टेप राशन या घर घर राशन पहुंचाने का मामला सामना आया तो एक बार फिर तनातनी दिखी। इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल का कहना है कि योजना को बिना नाम दिए काम करेंगे। उन्हें क्रेडिट नहीं चाहिए। आम आदमी पार्टी मुताबिक विवाद के केंद्र में मुख्यमंत्री शब्द था। लेकिन सरकार ने डोर स्टेप डिलिवरी ऑफ राशन से मुख्यमंत्री शब्द हटा लिया है।
राशन डिलिवरी स्कीम पर भी हुई सियासत
अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि कुछ साल पहले यह समाधान निकाला कि अगर बोरी में पैक करके लोगों का जितना राशन बनता है उतना सीधे उनके घर पहुंचा देते हैं तो लोगों को लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा और उस मकसद को हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना लाई गई थी। 25 मार्च से इसे विधिवत शुरू करने की योजना थी। लेकिन शुक्रवार को जिस तरह केंद्र सरकार ने इस योजना पर रोक लगाई उसके बाद बिना नाम के ही योजना पर काम किया जाएगा।
वो कहते हैं कि इस योजना पर रोक के पीछे बड़ी वजह यह है कि केंद्र सरकार को शायद सीएम या मुख्यमंत्री शब्द से आपत्ति है। घर घर राशन योजना के पीछे दिल्ली सरकार का मकसद नाम चमकाना नहीं हैं। अफसरों के साथ मीटिंग करके कहा कि इस योजना का नाम हटा दो, अब इसका कोई नाम नहीं है। केंद्र सरकार से जिस तरह से पहले राशन आता था और दुकानों के जरिए बांटा जाता था अब यह घर-घर पहुंचाया जाएगा। इस फैसले के बाद केंद्र की आपत्तियां दूर हो गई होंगी और अब शायद रोक ना लगे।
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