दिल्ली एक्साइज नीति की सीबीआई जांच पर भड़की आप, मनीष सिसोदिया को फंसाने की कोशिश

दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी की जांच सीबीआई करेगी। एलजी विनय कुमार सक्सेना के फैसले के बाद अब राजनीति शुरू हो चुकी है।

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मनीष सिसोदिया, शिक्षा और आबकारी मंत्री 

दिल्ली सरकार ने जब पुरानी एक्साइज पॉलिसी को खत्म कर नई पॉलिसी को लाने का ऐलान किया था विरोध तभी से था। बीजेपी का कहना था कि इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की संभावना है, हालांकि नई एक्साइज पॉलिसी लागू कर दी गई। लेकिन अब मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर एलजी विनय कुमार सक्सेना ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं। अब जब इस विषय की जांच सीबीआई के हवाले करने का फैसला किया गया है तो आम आदमी पार्टी ने सिलसिलेवार हमला बोला। आप की तरफ से खासतौर पर यह कहा गया कि सबकुछ केंद्र सरकार के इशारे पर किया जा रहा है। 

आम आदमी पार्टी के तीखे आरोप
आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार के पक्ष में बोलने के लिए विधायक सौरभ भारद्वाज उतरे और कहा कि दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को फंसाने की कोशिश की जा रही है, बता दें कि मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग का भी प्रभार है। उन्होंने कहा कि 2016 में जो कुछ हुआ था उसे एक बार फिर दोहराने की कोशिश की जा रही है। केंद्र की कोशिश है कि आम आदमी पार्टी सिर्फ पंजाब और दिल्ली तक सीमित रहे। एक मंत्री, दो मंत्री क्या, बाकी लोगों को भी इसी तरह लपेटे में लिया जाएगा। लेकिन आप झुकने वाली नहीं है। 

  • आप को दिल्ली, पंजाब तक रोकने की कोशिशजांच के बाद कुछ नहीं मिला
  • 2016 से 400 फाइलों की जांच
  • मनीष सिसोदिया को फंसाने के लिए किया जा रहा है काम
  • शराब के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप
  • पंजाब की जीत के बाद केंद्र सरकार घबरा गई। 
  • केंद्र के इशारे पर ही जांच हो रही है
  • किसी न किसी तरह अरविंद केजरीवाल और आप को रोकने की कोशिश की
  • अब सभी एजेंसियों से जांच कराई जाएगी। 

मनीष सिसोदिया का खास ट्वीट



अनियमिता के सबूत

ये मुख्य रूप से शीर्ष राजनीतिक स्तर पर वित्तीय क्विड प्रो क्वो का संकेत देते हैं, जिसमें आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने लिया और निष्पादित किया गया, वैधानिक प्रावधानों और अधिसूचित आबकारी नीति के उल्लंघन में बड़े निर्णय/कार्रवाइयां जो कि भारी थीं वित्तीय सम्भावनाए। उन्होंने निविदाएं दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय सहायता प्रदान की और इस तरह राजकोष को भारी नुकसान हुआ।

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