नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनी एक्जीक्यूटिव काउन्सिल की बैठक में ये निर्णय लिया की आने वाले दिनो में दिल्ली विश्वविद्यालय के नए कॉलेजों और सेंटरो का नाम वीर सावरकर और दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के नाम पर रखा जाएगा। डीयू वीसी योगेश सिंह की माने तो ऑगस्त में सर्वसम्मति से ये प्रपोज़ल एक बैठक में पारित किया गया था।
कार्यकारिणी परिषद की बैठक अगस्त में हुई थी जिसमें यूनिवर्सिटी के नए बनने वाले कॉलेजों व सेंटरों के नाम सरदार पटेल, सुषमा स्वराज, स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर पर रखने का सुझाव दिया गया था। बैठक में काउंसिल ने अटल बिहारी वाजपेयी, सावित्री बाई फुले, अरुण जेटली के नाम का भी सुझाव दिया था। इस पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार कुलपति को दिया गया था। कुलपति योगेश सिंह ने शुक्रवार को हुई ईसी की बैठक में पिछली बैठक के सारे फ़ैसलों को मंज़ूरी देते हुए ये तय किया है कि अब जो नए सेंटर व कॉलेज बनेंगे उनका नाम वीर सावरकर और सुषमा स्वराज पर रखा जाएगा।
ग़ौरतलब हैं कि वीर सावरकर को लेकर पिछले दिनो राजनीतिक गलियारों में बहस देखने को मिली थी और इसी पर शुक्रवार को हुई बैठक में कई कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने भी आपत्ति जताई। सी के मेम्बर प्रोफ़ेसर राजपाल सिंह पवार की मानें तो डीयू केंद्र सरकार के चीयरलीडर की तरह व्यवहार कर रहा हैं। कॉलेज का नाम उन लोगों के नाम पर रखा जाता हैं जिनका इतिहास बच्चों को पढ़ाया जा सके , डीयू से ऐसे कई विद्वान निकले हैं लेकिन किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर कॉलेज का नाम रखना जिसका डीयू की हिस्ट्री से कोई लेना नहीं हमें उस पर हमें आपत्ति हैं। हमने सरदार पटेल, ज्योतिबा फुले, साहेब सिंह वर्मा इन सबके नाम पर कॉलेज का नाम रखने की बात कही थी।
इस मामले में अब कार्यकारी परिषद के अलग अलग मेम्बर्ज़ की राय सामने आ रही हैं। प्रोफ़ेसर वीएस नेगी की माने तो कई शिक्षक राजनीति से प्रेरित होकर इसका विरोध कर रहे हैं , देश के अन्संग हीरोज़ के बारे में लोगों को पता होना चाहिए और ये समय है की हम उन्हें सम्मान दें।, कई मेम्बर्ज़ ने निर्विरोध कहा हैं की वो चाहते हैं की वीर सावरकर के नाम पर कॉलेज हो और इसे जल्द ही अमल में लाया जाएगा।
भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री- महिला मोर्चा, और डूसू की पूर्व सचिव दीप्ति रावत ने कहा, 'डूसू कॉलेजों का नाम वीर सावरकर और सुषमा स्वराज के नाम पर रखने के फ़ैसले का हम स्वागत करते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ियों को ये पता चलना चाहिए कि देश के लिए किस किसने त्याग किया और बलिदान किया है।'
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