सिविल सेवा सर्विस में सफलता हासिल करने वाले हर कैंडिडेट्स की अपनी एक अलग कहानी होती है। बता दें कि इस परीक्षा के लिए हर किसी के पास अपनी एक स्ट्रटजी होती है। जिसके मुताबिक वो इस परीक्षा की तैयारी करते हैं। ऐसे में सिविल सर्विस में सफलता हासिल कर आईएएस बनने वाले वर्जीत वालिया ने अपनी जर्नी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा में उनका सफर काफी उतार चढ़ाव से भरा था।
साल 2017 में सिविल सर्विस की परीक्षा में 21वीं रैंक हासिल करने वाले वर्जीत वालिया ने ये सफलता चौथी बार में हासिल की। उन्होंने बताया इस दौरान कई बार हिम्मत टूटी। लेकिन बार-बार खुद को मोटिवेट करते हुए अपनी मेहनत को जारी रखा। उन्होंने बताया कि वो सिविल सर्विस की तैयारी साल 2013 में शुरू की थी। पहली बार जब उन्होंने इसकी परीक्षा दी तब वर्जीत ने ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर सोशियोलॉजी लिया था। इस विषय के लिए उन्होंने कोचिंग भी की थी। बता दें कि पहली अटेम्प्ट में वर्जीत प्रीलिम्स परीक्षा को क्वालिफाई हो गए थे।
उन्होंने बताया कि पहले अटेम्प्ट में मैं अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट की काफी पढ़ाई की। लेकिन मेन्स क्लीयर नहीं हो पाया। पहली बार असफलता हासिल होने पर वर्जीत काफी परेशान हो गए और परिणाम का इंतजार करने लगे। वो देखना चाहते थे कि आखिर उन्होंने कहां गलती की। इस बीच उन्हें लगा कि अगर वो इस परीक्षा को क्वालिफाई नहीं हो पाए हैं तो इसकी कहीं ना कहीं वजह ऑप्शनल सब्जेक्ट है। ऐसे में वो बिना परिणाम जाने ऑप्शनल सब्जेक्ट को बदल दिया और फिजिक्स ले लिया।
वर्जीत ने भले ही दिल की बात सुनी लेकिन उन्हें एहसास नहीं था कि उनके ऐसा करने से उनकी मेहनत चार गुनी बढ़ जाएगी। दूसरी तरफ यूपीएससी के पॉलिसी में बदलाव आने की वजह से उनकी मेहनत और बढ़ गई। अब वर्जीत को ना सिर्फ फिजिक्स बल्कि जेनरल स्टडी पर खास ध्यान देने की जरूरत थी। इस दौरान वर्जीत खुद को मोटिवेट करते रहें और कोशिश की मेहनत में किसी तरह की कोई कमी ना रह जाए।
दूसरे अटेम्प्ट में कड़ी मेहनत के बाद उन्हें सफलता हासिल हुई। इस परीक्षा में उनका रैंक काफी कम था। बता दें कि उन्हें 577वीं रैंक हासिल हुई थी। जिसके तहत उन्हें इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस नियुक्त की गई। लेकिन वर्जीत को लगा कि वो इससे बेहतर कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने तीसरी बार परीक्षा दी, लेकिन इस बार तीनों चरण में होने के बाद भी उनका सलेक्शन नहीं हुआ। ऐसे में बिना परिणाम की परवाह किए उन्होंने एक बार फिर परीक्षा दी और इस बार उन्हें सफलता हासिल हुई। जिसके बाद उन्हें आईएएस नियुक्त किया गया।