IAS Success Story: बैकबेंचर से आईएएस बने Vaibhav Chhabra, एक्सीडेंट के चलते बेड पर लेटकर करते थे UPSC की पढ़ाई

एजुकेशन
भाग्य लक्ष्मी
Updated Sep 18, 2021 | 12:38 IST

IAS Success Story Vaibhav Chhabra: मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले वैभव छाबड़ा के लिए आईएएस बनने का सफर बेहद मुश्किल था। कई मुश्किलों को पार करने के बाद वैभव के हाथ यह बड़ी सफलता लगी थी।

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आईएएस वैभव छाबड़ा की कहानी 
मुख्य बातें
  • 8 बार असफल होने के बाद वैभव छाबड़ा को मिली थी सफलता।
  • एक्सीडेंट के चलते बेड पर लेटे-लेटे करते थे आईएएस बनने की तैयारी। 
  • बैकबेंचर से आईएएस बनने तक, बहुत मुश्किल था वैभव का सफर।

IAS Success Story, Vaibhav Chhabara: दिल्ली के रहने वाले वैभव छाबड़ा एक मध्यमवर्गीय परिवार से नाता रखते हैं। एक इंटरव्यू के दौरान वैभव ने यह बताया था कि उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से पूरी की थी। मगर, पढ़ाई उनके लिए पर्वत पर चढ़ने जितनी मुश्किल थी। उन्होंने कभी भी पढ़ाई में खास दिलचस्पी नहीं ली थी, यही कारण था कि उनका प्रदर्शन हमेशा औसत रहता था। उन्होंने अपना बीटेक भी 5 साल में पूरा किया था और उन्हें 56% अंक प्राप्त हुए थे। बीटेक करने के बाद वह एक कोचिंग संस्थान में बतौर फिजिक्स टीचर पढ़ाने लगे थे। तकरीबन 2 साल में ही उन्हें यह अहसास हो गया था कि वह इस नौकरी में सिमट कर नहीं रह सकते हैं। जिसके बाद उन्होंने आईएएस बनने का सोचा।

परिवार ने बढ़ाया उत्साह

आईएएस बनने का फैसला उन्होंने अपने परिवार और कुछ दोस्तों को बताया। उनके लिए नौकरी छोड़ना एक बड़ी चुनौती बन गया था। साहस के साथ उन्होंने इस नौकरी को छोड़ दिया था। मगर, इसके बाद वह बीएसएनएल में काम करने लग गए थे। इस दौरान, वह आईएएस बनने के सपने देखते थे, जिसकी वजह से उन्होंने इस नौकरी को भी अलविदा कह दिया था। 

ऐसे करते थे पढ़ाई

वैभव को पढ़ाई में जरा सा भी मन नहीं लगता था, उनके लिए पढ़ाई को एक घंटा देना भी बेहद मुश्किल था। इसीलिए उन्होंने एक तरकीब सोचा और हर आधे घंटे बाद वह 15 मिनट का ब्रेक लेने लगे। ऐसे करते-करते उनके पढ़ाई का समय बढ़ने लग गया। उन्होंने बताया कि वह ब्रेक के दौरान अपना एंटरटेनमेंट करते थे ताकि उनका मूड फ्रेश रहे। 

दुर्घटना के चलते बेड पर लेटे-लेटे करनी पड़ती थी पढ़ाई

2018 में उन्होंने यूपीएससी का फॉर्म भरा था, मगर एक दुर्घटना की वजह से उनकी पीठ पर काफी चोट आई थी। इस चोट की वजह से वह लगातार आठ महीनों तक बेड रेस्ट पर थे। उनकी पढ़ाई को कोई नुकसान ना हो इसके लिए वह बेड पर लेटे-लेटे आईएएस बनने की तैयारी करते थे। 2018 में उन्हें सफलता प्राप्त हुई। आईईएस की परीक्षा में उन्होंने 32वां रैंक प्राप्त किया था। उन्होंने पहली बार यह परीक्षा दी थी जिसके वजह से उन्हें कुछ खास अंदाजा नहीं था। वह मेंस तक तो पहुंचे मगर रिजेक्ट हो गए। 

वह आईएएस बनने के सपने को पीछे छोड़कर कोचिंग वापस जॉइन करने की बात सोचा करते थे। लेकिन, इस लड़ाई में उनके परिवार वालों ने उनका काफी साथ दिया था। एक इंटरव्यू के दौरान, उन्होंने यह साझा किया था कि आईएएस बनने से पहले वह 8 बार असफल हुए थे। मगर उन्होंने कभी भी अपनी हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य पर डटे रहे।

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