बुलंदशहर के किसान के बेटे वीर प्रताप सिंह राघव ने बचपन से आर्थिक तंगी देखी थी, लेकिन दृढ़ इच्छा और पढ़ने की ललक का ही नतीजा है वह आज आईएएस बन चुके हैं। सिविल सर्विसेज 2018 परीक्षा में सफल हुए वीर प्रताप सिंह राघव के पास इस परीक्षा की तैयारी और शामिल होने तक के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन, उन्होंने उधार लेकर इस परीक्षा की तैयारी की और सफल होकर दिखा दिया। उन्हें विश्वास था कि वह अपने इस संकल्प को पूरा कर लेंगे और आईएएस बनने का सपना पूरा कर लेंगे। अपने भाई के सपनों को पूरा कर वीर प्रताप ने साबित कर दिया कि यदि लगन और मेहनत हो तो किसी भी कार्य के लिए आर्थिक तंगी बाधा नहीं बन सकती।
IAS Success Story : परीक्षा में वीर प्रताप को मिली 92 वीं रैंक
यूपीएससी की सिविल सर्विसेज की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की। तीसरे प्रयास में उन्हें 92 वीं रैंक हासिल हुई थी। इस रैंक को पाने के बाद वीर प्रताप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए एक मोटिवेशनल पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताई थी और कहा था कि यह संघर्ष रंग लाया है, लेकिन इसके पीछे बहुत मेहनत और दृढ संकल्प काम आया। तमाम मुसीबतों का जिक्र करते हुए उन्होंने प्रतियोगियों को प्रेरित किया है, जो खराब माली हालत के चलते संसाधनों के अभाव में कई बार हताश हो जाते हैं।
ब्याज पर लिए पैसे से पढ़ाई
बुलंदशहर के दलपतपुर गांव के रहने वाले राघव के पिता मामूली किसान हैं। घर में खाने पीने की जरूरतों को पूरा करने में ही उनकी कमाई खत्म हो जाती थी। उनके पास बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे बहुत मुश्किल से निकल पाते थे। खास कर जब बच्चे बड़े हुए तो उनकी फीस या प्रतियोगीता की परीक्षा के लिए अतिरिक्त दबाव पड़ने पर उन्होंने ब्याज पर उधार लिया। तीन प्रतिशत महीने के ब्याज पर उधार लेकर उन्होंने बेटे वीर प्रताप को आईएएस की परीक्षा दिलाई थी। वीर प्रताप को यह सफलता उनके तीसरे प्रयास में मिल सकी।
दो बार की असफलता ने भी मनोबल गिरने नहीं दिया
2016 और 2017 में भी वीर प्रताप ने आईएएस परीक्षा दी लेकिन इसमें वह सफल नहीं हुए। असफलता से वह दुखी जरूर हुए लेकिन अपने मनोबल को गिरने नहीं दिया। उन्होंने अपने प्रयास और तैयारी को जारी रखा। हालांकि उधार का ब्याज बढ़ता जा रहा था लेकिन उन्हें विश्वास था कि वह एक दिन सफल होकर इन सारे ब्याज को भर देंगे।
बीटेक नहीं दर्शनशास्त्र को चुना वैकल्पिक विषय
वीर प्रताप ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से 2015 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया लेकिन आईएएस परीक्षा के लिए उन्होंने वैकल्पिक विषय दर्शनशास्त्र को चुना। अपने कोर विषय और लीक से हट कर दर्शनशास्त्र की तैयारी करने के लिए उन्होंने बेहद मेहनत की। मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के राघव दर्शनशास्त्र में सबसे ज्यादा स्कोर बटोरने के पायदान में दूसरे नंबर पर रहे। उन्हें दर्शनशास्त्र में कुल 500 में 306 अंक मिले थे।
बड़े भाई के सपने को किया पूरा
वीर प्रताप के के बड़े भाई का भी सपना आईएएस बनने का था लेकिन आर्थिक स्थितियों के आगे वह इस सपने को छोउ कर सीआरपीएफ की नौकरी में चले गए। हालांकि अपने सपने को वह अपने भाई के जरिये पूरा करना चाहते थे और इसी कारण उन्होंने वीर प्रताप को हमेशा आईएएस बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
5 किमी दूर था प्राथमिक विद्यालय
वीर प्रताप का बचपन भी कम संघर्ष से नहीं भरा था। उनका प्राथमिक विद्यालय तक उनके घर से पांच किलोमीटर दूर था और पैदल चल कर वहां तक जाना होता था। रोज दस किलोमीटर की यात्रा केवल पढ़ने के लिए वह करते थे। गांव में पुल न होने से ऐसा होता था। वीर प्रताप की प्राथमिक शिक्षा आर्य समाज स्कूल करौरा और कक्षा छह से हाईस्कूल तक की शिक्षा सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर शिकारपुर से हुई। वीर प्रताप ने फेसबुक पर अपने संघर्षों के बारे में लिखा है कि, "मैंने सफलता की ढेर सारी कहानियां पढ़ीं हैं। मैं भी आज अपनी स्टोरी शेयर करता हूं। हम जानते हैं कि ज्यादातर सिविल सर्वेंट एलीट क्लास से आते हैं। मगर तमाम ऐसे भी हैं, जो गांवों से निकलते हैं, उनकी जिंदगी बहुत संघर्ष भरी होती है।