कठिन परिस्थितियों और आर्थिक तंगी के बीच सामन्जस्य बिठाते हुए राजस्थान के रहने वाले शुभम गुप्ता ने न केवल अपनी स्कूली बल्कि आईएएस परीक्षा तक की तैयारी की है। पहले प्रयास में नाकाम रहे शुभम दूसरे प्रयास में सफल तो हुए लेकिन मनचाहा पोस्ट नहीं मिलने से उन्होंने ये चयन ठुकरा दिया। हालांकि तीसरा प्रयास उनके लिए बहुत ही हतोत्साहित करने वाला रहा क्योंकि उनका चयन नहीं हुआ, लेकिन शुभम ने हार नहीं मानी और चौथे प्रयास में 6वें रैंक पर आ कर अपना सपना पूरा कर के ही दम लिया। हालांकि उनके आईएएस बनने का ही नहीं स्कूल की पढ़ाई का सफर भी बहुत कठिन रहा था।
जयपुर के रहने वाले शुभम के पिता जी की जूते का कारोबार था और इसी सिलसिले में वह महाराष्ट्र में रहने आ गए। यहां भी आर्थिक स्थिति खराब ही रही। तीन भाई बहनों में छोटे शुभम और उनकी बहन का स्कूल बहुत दूर था और ये ट्रेन से स्कूल आते-जाते थे। घर आते-आते शाम हो जाती थी, लेकिन शुभम अपने पिता का साथ देने के लिए शाम को स्कूल से आकर जूते की दुकान पर मदद के लिए चले जाया करते थे। यहींं वह समय निकाल कर पढ़ते भी थे। शुभम तब आठवीं कक्षा में पढ़ते थे। उनके बड़े भाई आईआईटी की तैयारी के लिए बाहर रहते थे। दसवीं में बेहतरीन प्रदर्शन पर लोगों ने उन्हें साइंस लेने को कहा, लेकिन वह शुरू से कॉमर्स करना चाहते थे तो इसी स्ट्रीम में आगे की पढ़ाई की।
दिल्ली में नहीं मिला मनचाहा कॉलेज
कॉलेज की पढ़ाई के लिए शुभम दिल्ली तो आ गए लेकिन उनका एडमिशन श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में नहीं हुआ और वह किसी अन्य कॉलेज से ही अपना ग्रेजुएशन और एमकॉम पूरा किए। जब उनका चयन नहीं हुआ था कॉलेज में तब उनके भाई ने उन्हें समझाया था कि जहां एडमिशन मिला है, वहीं अच्छा कर के दिखा दो। जीवन में कई बार ऐसी स्थितियां आईं कि लगा की शायद छोटी-मोटी नौकरी कर के ही घर को चलाया जाए, लेकिन शुभम का लक्ष्य आईएएस बनना था और वह इन परेशानियों से भागे नहीं और अपनी तैयारी जारी रखी।
चौथे प्रयास में मिली सफलता
शुभम ने पहली बार 2015 में यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन तब वे प्री भी क्लियर नहीं कर पाए। बइसके बाद दूसरे प्रयास में उनका सलेक्शन तो हुआ लेकिन 366 रैंक होने के कारण मनचाही पोस्ट नहीं मिली। उन्हे उस वक्त इंडियन ऑडिट और एकाउंट सर्विस में चुना गया था,लेकिन उन्होंने इस पद को ठुकरा दिया। इसके बाद तीसरी बार 2017 में फिर परीक्षा दी, लेकिन उनका चयन इसमें नहीं हो सकता। ये पल उनके लिए हताशा का था, लेकिन अपने लक्ष्य को पाने के लिए वह एक बार फिर से जुट गए और 0218 में चौथे प्रयास में शुभम ने 6वीं रैंक हासिल की।