पिता को सैल्‍यूट! 105 किलोमीटर साइकिल चलाकर बेटे को पहुंचाया परीक्षा केंद्र

एजुकेशन
आईएएनएस
Updated Aug 20, 2020 | 12:14 IST

Madhya Pradesh Dhar news: बच्‍चों की सफलता के लिए माता-पिता क्‍या नहीं करते। मध्‍यप्रदेश से ऐसा ही मामला सामने आया, जब एक पिता करीब 105 किलोमीटर साइकिल चलाकर अपने बेटे को लेकर परीक्षा केंद्र पहुंचा।

पिता को सैल्‍यूट! 105 किलोमीटर साइकिल चलाकर बेटे को पहुंचाया परीक्षा केंद्र
पिता को सैल्‍यूट! 105 किलोमीटर साइकिल चलाकर बेटे को पहुंचाया परीक्षा केंद्र  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • मध्‍यप्रदेश में एक पिता ने 105 किलोमीटर साइकिल चलाकर बेटे को परीक्षा केंद्र पहुंचाया
  • शख्‍स ने लगभग 7 घंटे साइकिल चलाई तब वह कहीं जाकर परीक्षा केंद्र तक पहुंच पाया
  • वह 3 दिन का राशन बांधकर बेटे को परीक्षा दिलाने अपने गांव से परीक्षा केंद्र केंद्र पहुंचे

धार : हर पिता का सपना होता है कि उसका बेटा सफलताओं के कीर्तिमान स्थापित करें और जब कोई बाधा सामने आती है तो वह मुकाबला करने से भी नहीं हिचकता। मध्यप्रदेश के धार जिले में भी ऐसी ही कुछ बात सामने आई है, जहां बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए पिता ने 105 किलोमीटर साइकिल चलाई।

वाक्या धार जिले के मनावर तहसील के बायडीपुरा गांव का है। यहां मजदूरी करने वाले शोभाराम के बेटे ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं की परीक्षा दी थी मगर उसे सफलता नहीं मिली। राज्य सरकार ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा में असफल छात्रों के लिए रुक जाना नहीं योजना शुरू की। इसके तहत असफल छात्र दोबारा परीक्षा दे सकते हैं और अपना भविष्य संवार सकते हैं।

साइकिल से तय की 105 किमी दूरी

शोभाराम के बेटे आशीष भी दसवीं की परीक्षा में असफल रहा और उसे भी रुक जाना नहीं योजना के तहत परीक्षा देनी थी मगर कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह बंद होने पर उसके सामने एक बड़ी समस्या आ गई, क्योंकि मोटरसाइकिल आदि उसके पास थी नहीं, लिहाजा उसने साइकिल से ही जिला मुख्यालय पर स्थित परीक्षा केंद्र तक पहुंचने का फैसला लिया। उसके घर से परीक्षा केंद्र की दूरी 105 किलोमीटर है।

शोभाराम ने बेटे आशीष को साइकिल पर बैठाया और चल दिया परीक्षा केंद्र की ओर जहां परीक्षा होनी थी। शोभाराम ने लगभग 7 घंटे साइकिल चलाई तब वह कहीं जाकर परीक्षा केंद्र तक पहुंच पाया।

सोशल मीडिया पर शोभाराम का वीडियो वायरल हो रहा है। शोभाराम 3 दिन का राशन बांधकर गांव से परीक्षा दिलाने आया है। वह अपने बेटे को अधिकारी बनाना चाहता है। वह अपने साथ बिछौना भी लेकर आया है, क्योंकि होटल आदि में रुकने की उसकी हैसियत नहीं है।

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