नई दिल्ली: 17 महीने के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार 1 सितंबर बुधवार से दिल्ली में स्कूल खुल जाएंगे, शुरुआत में बड़ी क्लासेज 9 से 12 तक कि पढ़ाई होगी। बाद में छोटे क्लासेज और फिर सबकुछ ठीकठाक रहा और कोविड मामले नहीं बढ़े तो आगे प्री प्राइमरी हालांकि इसको लेकर स्कूलों को कोविड गाइडलाइन का पालन करना पड़ेगा साथ ही पैरेंटस की सहमति के बाद 50 फीसदी उपस्थिती के साथ पढ़ाई होगी।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने माना भी की शिक्षा का बहुत नुकसान हो गया। और अब इसको लेकर आगे बढ़ना होगा। ऑफ लाइन यानी क्लास में मौजूद रहकर टीचर की मौजूदगी में पढ़ाई का कोई विक्लप नहीं है। ये बाते दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से लेकर शिक्षा, हेल्थ और बच्चों के मनोविज्ञान पर काम करने वाले भी मानते है।
दिल्ली के के जी मार्ग स्थित भारतीय विद्या भवन मेहता स्कूल की प्रिंसिपल और एडुकेशनिस्ट डॉ अंजू टण्डन मानती है कि स्कूल बच्चों के लिए कैरिक्युलम ही केवल पूरा करने की जगह नहीं बल्कि प्रैक्टिकल लर्निंग, सोस्लाइज्ड होने और मेंटल हेल्थ के लिए एक प्रमुख जगह है।
अपने दोस्तों से इंटरेक्ट होना, टीचर्स से बाते कर के आउट ऑफ सलेब्स बहुत सारी बातें जानना। उसके ओवरऑल पर्सनालिटी को विकसित करने में मदद करता है। वैसे भी बीते ढेड़ साल से बच्चें घर से निकले नहीं उनके लिए घर के निकलना बेहद जरूरी है।
शुरुआती कक्षाओं के लिए स्कूलों के लिये डीडीएमए ने एक पूरी गाइड लाइन जारी की हैं। जिसको पालन करना न केवल स्कूल बल्कि पैरेंट्स और बच्चों को अनिवार्य होगा। डीडीएमए की शर्त के अनुसार क्लासरूम में सीटिंग कैपिसिटी के हिसाब से अधिकतम 50 प्रतिशत स्टूडेंट्स को ही बुलाया जाएगा। स्कूल मैनेजमेंट कमिटी (एसएमसी) और पैरंट्स टीचर्स असोसिएशन (पीटीए) के साथ मिलकर बनाए जाने वाले प्लान के तहत फैसला लेना होगा। जरूरत पड़ने पर प्रिंसिपल को कोविड प्रोटोकॉल, स्टूडेंट्स की हाजिरी और दूसरे जरूरी मुद्दों पर एसएमसी-पीटीए की मीटिंग बुलानी होगी।
स्कूल-कॉलेज परिसर को नियमित रूप से सैनिटाइज करते रहना होगा और शिक्षण संस्थान में थर्मल स्कैनर, सैनिटाइजर, मास्क, साबुन की भी पर्याप्त व्यवस्था रखनी होगी।
स्कूल टीचर्स और स्टाफ का वैक्सीनेशन सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। क्लासरूम की सीटिंग कैपिसिटी और कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए स्कूल प्रिंसिपल को टाइम टेबल तैयार करना होगा। पैरंट्स की इजाजत के बाद भी बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा। जहां तक संभव हो, बच्चों के लंच के लिए ओपन एरिया का प्रयोग किया जाए। साथ ही सभी क्लासेज के स्टूडेंट्स के लिए एक साथ लंच ना हो। लंच की टाइमिंग अलग-अलग इस तरह से हो कि एक जगह पर सभी बच्चे जमा ना हों।
यह सुनिश्चित किया जाए कि स्टूडेंट्स अपना लंच, बुक्स, कॉपी, स्टेशनरी किसी दूसरे बच्चे के साथ शेयर ना करें। स्टूडेंट्स, टीचर्स और कर्मचारी अगर किसी कंटेनमेंट जोन में रहते हैं, तो उन्हें स्कूल, कॉलेज आने की इजाजत नहीं होगी। एसओपी में कहा गया है कि अगर किसी स्कूल या इंस्टिट्यूट की बिल्डिंग के किसी हिस्से में वैक्सीनेशन केंद्र या राशन वितरण केंद्र चल रहा है, तो स्कूल के उस हिस्से को अकैडमिक एक्टिविटिज से बिल्कुल ही अलग कर दिया जाए। उम्मीद है कि दिल्ली में कोरोना के कम मामले और इन सबके बीच सरकार के द्वारा की जाने वाली बचाव के उपायों के बीच स्कूलों का खुलना बच्चों की पढ़ाई के साथ उनके पूरे वेलबिंग के लिए एक अच्छा निर्णय होगा।