यूपीएससी की परीक्षा में पहली बार जम्मू-कश्मीर से महिला वर्ग में रेहाना बशीर ने सफलता प्राप्त की है। रेहाना की लगन और कड़ी मेहनत से न केवल इस परीक्षा में अपनी जगह बनाई, बल्कि अपने राज्य की लड़कियों को एक नजीर भी पेश की है। पुंछ जिले के सलवा गांव की रहने वाली रेहाना को यूपीएससी परीक्षा में 187वीं रैंक हासिल किया है। रेहाना को ये सफलता उनके दूसरे प्रयास में मिली है। यूपीएसई परीक्षा के लिए उन्होंने पहला प्रयास 2017 में किया था। बता दें कि रेहाना के भाई अमित बशीर ने भी साथ में परीक्षा दी थी और वह भी इसमें सफल हुए हैं।
भाई से मिली थी यूपीएससी परिक्षा देने की प्रेरणा
अमित बशीर भारतीय राजस्व अधिकारी हैं और आयकर विभाग में उनकी नियुक्ति है। रेहाना को अपने छोटे भाई से ही यूपीएससी परीक्षा देने की प्रेरणा मिली थी। रेहान का यूपीएसई परीक्षा के लिए ये दूसरा प्रयास था। पहले प्रयास में असफलता से वह बहुत निराश हुईं थीं। उनका कहना है कि उनके लिए परीक्षा का स्ट्रेस लेना आसान नहीं था, लेकिन उनके छोटे भाई ने उनको इससे बाहर निकाला और उन्होंने दोबारा इसकी तैयारी की।
एमबीबीएस से आईएएस का सफर
रेहाना ने शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस किया था और वह अपने भाई की आईएएस की तैयारी को देखकर मोटिवेट हुईं थी। रेहाना बताती हैं कि, नवंबर 2016 में एक इंटर्नशिप के दौरान उन्हें लगा कि उन्हे देश की सेवा का मौका मिल सकता है। उसके बाद मुझे डॉक्टर होने के अलावा कुछ करने की इच्छा होने लगी। एक डॉक्टर के तौर पर मैं केवल मरीज का इलाज कर सकती थी लेकिन उनकी समस्याओं को हल करने के लिए मुझे कुछ और जिम्मेदारी निभानी होती। इसलिए मैंने तय किया की स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने जैसे पीने के साफ पानी की पहुंच, उचित सड़कें, अच्छा भोजन, स्वच्छता, स्वास्थ्य और स्वच्छता आदि के लिए उन्हें सिविल सर्विसेज का एग्जाम देना चाहिए। रेहाना समाज में बदलाव लाना चाहती हैं। देश में सरकारी नीतियों को लागू करना चाहती है।
जम्मू कश्मीर से छह उम्मीदवार हुए थे पास
रेहाना बशीर के अलावा जम्मू और कश्मीर के 6 उम्मीदवारों ने भी यूपीएसई की सिविल सेवा परीक्षा 2018 में सफलता हासिल की है। लेकिन रेहाना के नाम पहली महिला आईएएस बनने का रिकार्ड बन गया है।