UPSC Toppers Success Stories : यूपीएससी के इन 5 टॉपर्स की सफलता की कहानियां, आपको जरूर देगी प्रेरणा

UPSC Toppers Success Stories : यूपीएससी में इस बार अलग-अलग पृष्ठभूमि से आए उम्मीदवारों ने प्रशासनिक सेवा में अपनी खास जगह बनाई है। आप भी इनकी उपलब्धियों से जरूर प्रेरणा लें।

UPSC Toppers Success Stories, यूपीएससी टापर्स की सक्सेस स्टोरी
UPSC Toppers Success Stories, यूपीएससी टापर्स की सक्सेस स्टोरी 
मुख्य बातें
  • क्षेत्रीय भाषाओं में भी उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी
  • प्रशासनिक सेवा तक पहुंचने के लिए खेती भी की
  • गांव में शिक्षा सुविधा न होने पर भी क्रैक की परीक्षा

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा 2017 के अंतिम परिणामों ने धैर्यता, प्रेरणा और प्रेरणादायक कहानियों का जन्म दिया है। खास बात ये है कि विविध पृष्ठभूमि से आए इन उम्मीदवारों ने जिस तरह से देश के सबसे सर्वोच्च प्रशासिनक सेवा में अपने लिए जगह बनाई है वह किसी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। इन उम्मीदवारों ने अपने क्षेत्रीय भाषा में लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी दी है।

प्रशासनिक सेवा की ऐसे उम्मीदवार भी चयनित हुए जिनके पास शिक्षा पाने का कोई आसान साधन तक नहीं था, कोई ऐसे गांव से आया जहां प्राथमिक शिक्षा तक के लिए कई किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। वहीं एक उम्मीदवार को अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई आर्थिक कारणों से बीच में छोड़ कर अन्य काम करना पड़ा और इस बीच वह लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी भी करते रहे। लोकसेवा आयोग के चयनित इन उम्मीदवारों के यहां तक के पहुंचने का सफर उनसे जानें।

अनुदीप दुरीशेट्टी

भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी अनुदीप दुरीशेट्टी ने सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया है। अनुदीप वर्तमान में हैदराबाद में सहायक आयुक्त (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष करों) के रूप में नियुक्त हैं। जगतियाल जिले के मेटपल्ली गाँव के अनुदीप बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS), पिलानी से इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। अनुदीप पढ़े-लिखे परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता मनोहर तेलंगाना के नॉर्दर्न पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के सहायक इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। अनदीप ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए तेलुगु भाषा का विकल्प चुना था। आईआरएस में चयनित होने से पहले अनुदीप ने हैदराबाद में गूगल के साथ प्रोडक्ट क्वालिटी एनलाइजर के रूप में भी काम किया था। अनुदीप को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में खास रुचि है।

तपस्या परिहार

नरसिंहपुर के एक अविकसित गांव की तपस्या परिहार ने यूपीएससी की परीक्षा में 23 वीं रैंक हासिल की है। तपस्या परिहार जोवा गाँव की रहने वाली हैं जहां की आबादी केवल 800 हैं। यह नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर है। हालांकि यहां की साक्षरता दर 63% है। कानून की छात्रा तपस्या ने ने पहली बार में प्रारंभिक परीक्षा में असफल थी, लेकिन दूसरी बार में उन्होंने अपने संघर्ष और कड़ी मेहनत से सफलता हासिल कर ली। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने "नरसिंहपुर के किसान की बेटी" की प्रशंसा अपने ट्विटर हैंडल पर भी किया है। उन्होंने लिखा कि "मध्य प्रदेश को अपनी बेटी पर गर्व है। आगे बढ़ो और अधिक सफलता प्राप्त करो। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है,"।

अनु कुमारी

चार साल के बच्चे की मां अनु कुमारी हरियाणा के सोनीपत जिले की रहने वाली हैं। घर के कामकाज को करते हुए अनु ने सिविल सेवा में दूसरी रैंक हासिल की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से भौतिकी की पढ़ाई करने के बाद आईएमटी नागपुर से एमबीए किया था। इस दौरान उन्होंने कभी भी कोई कोचिंग क्लास नहीं ली। 31 साल की अनु की शादी एक बिजनेसमैन से हुई है। दो साल पहले उन्होंने गुड़गांव की नौकरी छोड़ दी थी और सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। उनका आईएएस बनने का सपना इसलिए था क्योंकि वह महिलाओं कि जिंदगी को बदलना चाहती हैं। वह बताती हैं कि उनकी जिंदगी में सारा काम मशीनी हो गया था इसलिए वह अब समाज के लिए कुछ करना चाहती थीं और इसलिए उन्होंने प्रशासिनक सेवा को चुना।

एम शिवगुरु प्रभाकरन

2004 में  एम शिवगुरु प्रभाकरन का इंजीनियरिंग में डिग्री लेने का सपना तब टूट गया जब उनका परिवार उनके लिए चेन्नई में काउंसलिंग सेशन में जाने के लिए पैसे एकत्र नहीं कर पाया। इसके बाद शिवगुरु के दृढ़ संकल्प और जुनून का सेशन शुरू हुआ और तंजावुर जिले के पट्टुकोट्टई में मेलोट्टानकाडु गांव के रहने वाले शिवगुरु, सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन और आईआईटी मद्रास के हॉलवे के प्लेटफार्मों तक पहुंच गए। उम्मीद है कि वह एक आईएएस अधिकारी के रूप में संभवतः फोर्ट सेंट जॉर्ज के हॉलिडे प्रीडिक्ट्स में जा सकते थे। शिवगुरु के पिता शराब के आदि थे और घर का आर्थिक बोझ मां और बहन पर ही था। उनकी मां और बहन नारियल की रस्सी बिनती हैं। जब वह इंजीनियरिंग नहीं कर सके तो उन्होंने खुद काम करने का फैसला किया और वह सॉमील में काम किए और थोड़ी खेती दो साल तक की। इस दौरान जो कुछ भी वे पैसे कमाए उससे कुछ अपने परिवार पर खर्च किया और कुछ अपनी पढ़ाई के लिए बचाते रहे और इस तरह उन्होंने अपने सपने को प्रशासनिक सेवा में आकर पूरा किया।

अभिषेक सुराणा

राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले अभिषेक सुराणा ने सिविल सेवा परीक्षा में 10 वीं रैंक हासिल की है। अभिषेक सुराणा पहले भी आईपीएस अधिकारी के प्रशिक्षण ले चुके हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से स्नातक करने के बाद  वे दो साल के लिए विदेश चले गए और वहां आईआईटी करने के बाद उन्होंने सिंगापुर में Barclays Investment Bank में नौकरी की और फिर लंदन में बैंक के लिए भी काम करने लगे। उन्होंने अपनी खुद की एक कंपनी की स्थापना भी की और चिली में काम शुरू किया। इधर देश वापस लौटने की लालसा उनके मन में बनी रही और तब उन्होंने इसके लिए सिविल सर्विसेज को चुना।

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